‘पिरूूल से बनाएं कोयला’ पर आधारित कार्यशाला हुई आयोजित

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    पिरूूल से बनाएं कोयला’ पर आधारित कार्यशाला हुई आयोजित

    वन विभाग के बड़े अधिकारी हुए शामिल

    दिया गया सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण

    ‘जंगल की आग रसोई में लाना’ है थीम

    चंबा, सो.ला.सकलानी ‘निशांत : वन विभाग की ओर से ‘पिरूूल से बनाएं कोयला’ पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला ‘जंगल की आग रसोई में लाना’ पर आधारित थी।

    'पिरूूल से बनाएं कोयला' पर आधारित कार्यशाला हुई आयोजितडाक बंगला प्रांगण, चंबा में आयोजित इस कार्यशाला में चीड़ की पत्तियों (पिरूल) से कोयला बनाना, चीड़ की पत्तियों के दुष्प्रभाव, उपयोग, स्वरोजगार का साधन बनाने तथा वनाग्नि रोकने के लिए पिरूल (चीड़ की पत्तियों) को इकट्ठा कर तकनीकी पद्धति से कोयला बनाने,लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध करवाने पर चर्चा हुई। कार्यशाला में एनजीओ से ‘लखवाड़ प्रोजेक्ट’ को-ऑर्डिनेटर राजेश कुमार ने कई घंटे तक लोगों को सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया।

    उन्होने विस्तार से पिरूल के फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी दी। कहा कि प्रथम वन उर्जा इकाई,  रिंगालगढ (सकलाना) में चीड की पत्तियों से कोयला उत्पादन,लगाई गयी है। पिरूल ₹ 03-00 प्रति किलो की दर से सडक पर वे खरीदेंगे। कुछ इंसेंटिव भी दिया जाएगा। सड़क से यूनिट पर लाने का खर्चा संबंधित एनजीओ उठाएगा। पिरूल से बना पाइन ब्रिकेट (कोयला) 600 ग्राम से 1 घंटे तक भोजन पकाया जा सकता है।

    एसडीओ किशोर नौटियाल ने कहा कि वन विभाग इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाने की भूमिका में है। कहा कि पलायन को रोकने, जंगलों को आग से बचाने, भूजल स्तर को उठाने, मिथेन जैसी गैसों के उत्सर्जन को रोकने आदि में योजना कारगर सिद्ध होगी।

    वन विभाग जागरूकता, अनुश्रवण और वित्तीय मदद करेगा। ग्राम स्तर पर समितियों के द्वारा खाते के माध्यम से लाभार्थियों को भुगतान किया जाएगा।

    एसडीओ रश्मि ध्यानी ने सरकार की इस स्वर्णिम रोजगार योजना के बारे में बताया कि स्थानीय वन उत्पादों के उपयोग करते हुए इस तरह की योजना से जंगलों को सुरक्षित रख सकते हैं। साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ सकते हैं।

    सांख्यिकी अधिकारी दिनेश बिष्ट ने कहा कि सरकार की इस योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाने के लिए विभाग की भी भूमिका है और वह इस योजना में वांछित सहयोग करेंगे।

    संजय पुरोहित ने कहा कि जागरूकता, सहयोग और माध्यम के रूप में उनकी भूमिका है। उन्होंने अपने वन विभाग के कर्मचारियों से योजना की उचित जानकारी रखने की बात कही।

    स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत’ ने वन संपदा संरक्षण और उपाय पर विचार रखे। अपनी कविताओं के माध्यम से जागरूक किया। वन सरपंच चोपड़ियाल गांव विनोद डबराल ने कहा कि वे यूनिट स्थापना हेतु अपनी ग्राम पंचायत के अंतर्गत भूमि उपलब्ध करवा सकते हैं।

    इस अवसर पर इंद्र सिंह नेगी, सुरम तोपवाल, रवि गुसाईं, राजेंद्र जोशी, प्रवीण सकलानी, प्यार चंद रमोला, आर.एस.नेगी, ओम प्रकाश लेखवार, राकेश बिजल्वाण अनेक ग्राम पंचायतों के वन सरपंच और ग्राम प्रधान तथा जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। वन क्षेत्राधिकारी प्रबोध पाण्डेय ने कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले सभी लोगों का आभार प्रकट किया।

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