क्वीली गढ़ के बमणगांव में पौराणिक नौरता मंडाण की आगामी 14 नवंबर से होगी शुरुआत

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क्वीली गढ़ के बमणगांव में पौराणिक नौरता मंडाण की आगामी 14 नवंबर से होगी शुरुआत
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देवभूमि के नाम से विश्व भर में विख्यात उत्तराखंड अपने खास रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है। हालांकि बदलते वक्त और परिस्थितियों के चलते पहाड़ की पौराणिक परंपराएं दम तोड़ती जा रही हैं, मगर आज भी कई क्षेत्र और गांव ऐसे हैं जो आज भी अपनी पौराणिक परंपराओं को जिंदा रखे हुए हैं।

[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी, पोखरी क्वीली @नरेंद्र बिजल्वाण[/su_highlight]

अपनी उन्हीं पौराणिक परंपराओं को आज भी जिंदा रखे हुए है विकासखंड नरेंद्र नगर की पट्टी क्वीली का बमणगांव। बमण गांव में हर 3 साल के बाद अपने कुल/ईष्ट देवी-देवताओं का स्मरण व आह्वान करते हुए ढोल-दमाऊं की थाप पर एक विशेष तरह का नौरता-मडाण लगाया जाता है। जिसमें गांव के ही नहीं क्षेत्र के लोग बड़े चढ़कर हिस्सा लेते हैं। पंडों के नाम से विख्यात नौरता-मंडाण के आयोजन के लिए पंडित मनोहरी लाल की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया।

नौरता-मंडाण संरक्षण मंडल तथा संचालन समिति का किया गठन

बैठक में नौरता-मंडाण संरक्षण मंडल तथा संचालन समिति का गठन किया गया। संरक्षण समिति में पीतांबर दत्त बिजल्वाण, मूर्ति सिंह रावत, भक्ति प्रसाद बिजल्वाण, दर्शन लाल बिजल्वाण आदि को सर्वसम्मति से चयन किए जाने के साथ इनके दिशा निर्देशन में विशेष पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में जहाँ पौराणिक परम्पराओ और रीति रिवाजो को बचाने के लिये कई क्षेत्रों से सामाजिक कार्यकर्ता प्रयासरत हैं, वही गढवाल के 52 गढ़ो में से प्रसिद्ध क्वीली गढ़ के समीप प्राचीन बमणगांव जो की राजशाही के समय से ही काफी प्रसिद्धि प्राप्त गावं में से एक है, बमणगांव को राजशाही के दौरान कुली-बेगार प्रथा से अलग रखा गया था,  क्योंकि यहाँ राज रसोया सरोला जाति के बिजल्वाणो का मूल गांव था, जिनका राजशाही परिवार बहुत सम्मान करता था, इस पौराणिक प्रसिद्धि प्राप्त गावं में 600 सालो से यह पौराणिक परम्परा (पण्डो के नोरत्ता पण्डो मन्डाण) अपने पौराणिक रीति रिवाजो के साथ चली आ रही है, जो हर तीन साल के पुरे होने पर नोरत्ता पण्डो मंडाण आयोजित किये जाते हैं।

क्वीली पट्टी में सदियों से चली आ रही परंपरा को आज भी जिंदा रख हुए हैं बमणगांव के लोग

आज पण्डित मनोहरी लाल बिजल्वाण की अध्यक्षता मे एक बैठक आयोजित की गयी, जिसमे पण्डो मंडाण के आयोजन हेतु संरक्षण मण्डल, और संचालन समिति का गठन किया गया। जिसमे श्री पिताम्बर दत्त बिजल्वाण, मूर्ती सिह रावत, भक्ति प्रसाद बिजल्वाण, दर्शन लाल बिजल्वाण आदि के दिशा-निर्देश में संचालन समिति गठित की गयी। जिसके अध्यक्ष ईश्वरी प्रसाद बिजल्वाण (पूर्ब जेष्ठ प्रमुख नरेन्द्रनगर) व कोषाध्यक्ष  बुद्धि सिह रावत (पूर्व जनसंपर्क अधिकारी मुख्यमंत्री उत्तराखंड) एव दिनेश बिजल्वाण प्रधान बमणगाव को सचिव का दायित्व दिया गया है। समापन अवसर की ब्यवस्था लोक गायक विनोद बिजल्वाण को प्रदान की गई है।

पौराणिक परम्परा में सम्मिलित गांव बमण गांव, थन्यूल, खुनकिधार, अन्दर्फिगाव, भटोली, ददेली, कंडारी गाव, पलोगी, पोखरी, बमण खोला, मणगाव, सॉटियाल गांव के पौराणिक काल से सम्मिलित हो रहे परिवार मूख्य पूजा मे सम्मिलित होगें व कार्यक्रम में अपना सहयोग  देते रहेगे।

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार यज्ञ का शुभारंभ 14 नवम्बर 2021, यज्ञ का पंचम दिवस 18 नवम्बर 2021, (ध्वज, कुन्ती माता, पंडों का आवाह्न), यज्ञ का अष्टम दिवस 21 नवम्बर 2021, (तीर्थ स्नान हेतु निशानों के साथ प्रस्थान) यज्ञ की पूर्णाहुति 22 नवम्बर 2021 को होगी।