आदर्श इंटर कॉलेज जाजल में हर्षोल्लास से मनाया गया शिक्षक दिवस, सेवानिवृत्त शिक्षक और साहित्यकार ‘निशांत’ को किया सम्मानित

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आदर्श इंटर कॉलेज जाजल में हर्षोल्लास से मनाया गया शिक्षक दिवस। सेवानिवृत्त शिक्षक और साहित्यकार 'निशांत' को किया सम्मानित
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नरेंद्रनगर प्रखंड के अटल आदर्श उत्कृष्ट रा. इंटर कॉलेज जाजल में शिक्षक दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मुख्य अतिथि, पीटीए अध्यक्ष,एसएमसी अध्यक्ष और प्रधानाचार्य के द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र का अनावरण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। सेवानिवृत्त शिक्षक कवि और साहित्यकार सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत’ को अंग वस्त्र, सम्मान चिन्ह आदि से सम्मानित किया गया।

अपने संबोधन में श्री सकलानी ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में शिक्षक का दायित्व और अधिक बढ़ गया है। नई शिक्षा नीति के अनुरूप और बदलती परिस्थितियों के मुताबिक शिक्षकों को स्वयं को ढालना होगा। पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के साथ समन्वय स्थापित करते हुए आने वाली चुनौतियों के लिए छात्र- छात्राओं को तैयार करना होगा। इसके लिए शिक्षक को हर वक्त अपडेट रहना है। प्राचीन विमर्श्वरूपिणी विद्या से लेकर आधुनिक तकनीकी ज्ञान तथा नई शिक्षा नीति के अनुरूप, आयोग और विद्वानों के द्वारा सुझाए गए विचारों को धरातल पर कार्यान्वित करना पड़ेगा। जिससे हम भूमंडलीकरण के इस दौर में विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में अपने को खड़ा कर सकें।

कहा कि ज्ञान- विज्ञान और चारित्रिक रूप से विद्यार्थियों को परिपक्व होना चाहिए। छात्र-छात्राओं के अंदर ज्ञान के साथ-साथ दृष्टिकोण का विकास और कौशल क्षमता होनी चाहिए। चौथी औद्योगिक क्रांति के अनुरूप अपने को ढालना होगा क्योंकि शिक्षा का स्वरूप भी परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है और आने वाले समय में छात्रों के अंदर कौशल विकास के द्वारा, प्रतिभाओं का सही आकलन करके, हमें रोजगार मूलक शिक्षा की अवधारणा को भी आगे बढ़ाना है। इसके लिए छात्रों को तन- मन और चरित्र के द्वारा चंंहुंमुखी विकास के साथ आगे बढ़ना होगा। जिसमें हमारी शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। छात्र और अध्यापकों में परस्पर प्रेम का भाव होना चाहिए। सुखद और सौहार्दपूर्ण वातावरण में शिक्षा दी जानी चाहिए। छात्र-छात्राओं की क्षमताओं का पूर्ण विकास किया जाना चाहिए और शिक्षक को अपने सर्वोच्च गरिमामय पद का ख्याल रखना है।

एस राधाकृष्णन का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि एक विद्वान, कुशल प्रशासक, दार्शनिक,राष्ट्रपति होते हुए भी वे सबसे पहले अपने को अध्यापक मानते थे और इसी कारण जब मद्रास से कलकत्ता विश्वविद्यालय में उनका स्थानांतरण हुआ, विश्वविद्यालय के छात्रों ने बग्गी से घोड़ों को खोलकर, स्वयं खींचते हुए अपने गुरु को परिसर तक ले गए। इससे बड़ा शिक्षा के लिए और क्या सौभाग्य हो सकता है। राजदूत के रूप में जब वे सोवियत रूस में रहे, तो तीन बार स्टालिन उनसे स्वयं भेंट की। राष्ट्रपति के रूप में रहे तो भारतीय परिस्थिति, भावना, परिवेश और पोशाक के अनुरूप उनकी जीवन शैली रही। अपने वेतन से मात्र ₹1 प्रतीकात्मक वेतन लेते थे।

छात्र छात्राओं को महान पुरुषों के जीवन चरित्र पढ़ने चाहिए। उनके द्वारा किए गए अद्भुत कार्यों का अनुसरण करने की भावना होनी चाहिए। समाज, परिवार, विद्यालय और गुरुजनों के द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष और परोक्ष ज्ञान को व्यवहारिक रूप में लाकर एक सभ्य नागरिक के रूप में अपनी पहचान बनानी होगी। छात्र छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए श्री सकलानी ने महान पुरुषों के आदर्शों को आत्मसात करने का भी आह्वान किया। छात्र-छात्राओं, एनसीसी कैडेट्स, गणमान्य व्यक्तियों,विद्यालय शिक्षकों तथा प्रधानाचार्य प्रभाकांत त्रिवेदी के द्वारा विचार व्यक्त किये गए।

इस अवसर पर कार्यक्रम के संचालक श्री लक्ष्मण सिंह रावत, बी के सिंह, राजेश कुमार त्रिपाठी, पीयूष कुमार अवस्थी, दिनेश रावत, सुमन गुप्ता, शीशपाल सिंह भंडारी, रजनी लखेडा, पीटीए अध्यक्ष दयाल सिंह भंडारी, एसएमसी अध्यक्ष धूम सिंह मंद्रवाल आदि बड़ी संख्या में शिक्षक और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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