कविता: वन माता को वृक्ष समर्पित !

कविता: वन माता को वृक्ष समर्पित !
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खुश होकर जब पेड़ लगाया,
क्यों ना खुशी यह  देगा !
आने वाले कुछ वर्षों में,
हरीतिमा से  यह क्षेत्र सजेगा।

सरहद का साक्षी @कवि: सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत’

पानी खूब बरख रहा है,
अब जल की भी कमी न होगी।
कुछ दिन इसकी देखभाल हो,
फिर धरती जड़ पकड़ेगी।

पावस के इस अवसर पर,
वन- महोत्सव बेला में।
वन कर्मी संग पेड़ लगाये,
खुशी हुई अंतरतम में।

एक पेड़ यदि एक लगाए,
कोटि वृक्ष हो जाएंगे ।
उनके संरक्षण संवर्धन से,
प्रकृति का सुख पाएंगे।

वन माता को यह है समर्पित,
पौध वृक्ष वन बन जाएंगे।
उच्च हिमालय के क्षेत्र में,
ब्रह्म कमल खिल भाएंगे।

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