शहीद दिवस पर कवि सोमवारी लाल सकलानी, निशांत की ओर से श्रद्धांजलि स्वरुप दो शब्द 

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    30 जनवरी को हम शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं।  सेवा के दौरान निर्देशानुसार विद्यालयों में ठीक 11:00 बजे एक घंटी बजती थी। सभी विद्यार्थी अपनी सीटों पर खड़े हो जाते थे। अध्यापक- कर्मचारी भी जो जहां पर है, वहीं पर खड़े हो जाते थे और विनम्र श्रद्धांजलि के रूप में बापू को 02 मिनट का मौन रखकर यह स्मरण किया जाता था। बापू के स्मरण, उनको श्रद्धांजलि के साथ ही पढ़ाई- लिखाई का भी नुकसान नहीं होता था। बाकी तो हर राष्ट्रीय पर्व पर, विशेषकर 02 अक्टूबर को गांधी जी के बारे में विस्तृत चर्चा की जाती है।

    स्वच्छता के रूप में, समाज सेवा के रूप में, कुष्ठ निवारण के रूप में, अछूतोद्धार के रूप में, राष्ट्रीय समन्वय और भाईचारे के रूप में, सत्य- अहिंसा और प्रेम के रूप में, संपूर्ण भारत में गांधीजी को याद किया जाता है।

    अभी कुछ समय पहले “हिमालय सेवा संघ” के द्वारा एक पुस्तिका (काव्य संग्रह) प्रकाशित कराया गया था। मैं मनोज पांडे जी का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मेरी रचित 12 कविताओं को काव्य संग्रह में प्रकाशित किया है।

    इस महान पर्व पर कुछ समय पूर्व “जन-जागृति संस्थान खाड़ी, टिहरी गढ़वाल में अरण्य रंजन जी के संयोजन में ये पुस्तिकाएं, एक वृहद कार्यक्रम में बांटी गई। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पुस्तिका  “जल सागर” के रूप में प्रस्तुत हुई है।

    मां गंगा को बचाने के साथ- साथ हिमालय के “जल-स्रोतों” को बचाने के लिए एक मुहिम है। जल जागर काव्य संग्रह के द्वारा अवश्य ही लोगों में  जन जागृति  पैदा हुई होगी क्योंकि इस काव्य संग्रह में अनेक लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों की कविताएं संकलित हैं जो जल जीवन से संबंधित है।

    स्वर्गीय घनश्याम सैलानी, स्वर्गीय प्रताप शिखर, स्वर्गीय कुंवर प्रसून, डॉक्टर अतुल शर्मा और वाचस्पति रयाल आदि की रचनाएं इस  काव्य संग्रह में संकलित हैं। एक साहित्यकार होने के नाते मै कह सकता हूँ कि इस से बढ़कर गांधी जी को और क्या श्रद्धांजलि हो सकती है? आज ही के दिन सत्य- अहिंसा और प्रेम के इस महानायक को, विश्वशांति के देवदूत, मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी जी) को, एक सिरफिरे ने गोली मार दी थी। “हे राम !” कहते हुए वे सन 1948 में  ब्रह्मलीन हुए थे। उनकी  स्मृति में आज के दिन “शहीद दिवस” संपूर्ण देश में ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों में मनाया जाता है।

    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक नायक थे। वह न केवल एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राजनेता थे, बल्कि एक महान समाज सुधारक और धार्मिक व्यक्ति थे। वह बिना किसी धर्म, जाति, संप्रदाय और पंथ के मानवता के संरक्षक थे। प्राणी मात्र से  गांधीजी प्रेम करते थे। संपूर्ण सृष्टि उनके लिए एक घर के समान थी और वह हमेशा एक सुखद संसार की परिकल्पना में लीन रहते थे।

    गांधी जी सत्य के प्रतिदूत थे। उन्होंने कभी कोई बात छुपाई नहीं। उन्हें कोई किस रूप में लें, यह अलग विषय है। राजनीति के ठेकेदारों चाहे वह किसी दल के रहे हों, गांधी जी की आलोचना -प्रत्यालोचना, आदर- सम्मान और विरोध केवल अपनी राजनीतिक लिप्सा को पूर्ण करने के लिए ही समाज के समक्ष भरोसते हैं।

    आज के कथित राजनेता, गांधी जी के नाम का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। कुछ अच्छाई के रूप में- कुछ बुराई के रूप में, भले ही उन्हें गांधीजी में के बारे में  लेश मात्र भी जानकारी ना हो।

    महात्मा गांधी एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक विचार थे। एक ऐसे विचार थे, जिनको के अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई और जिन्होंने अंग्रेजों के फौलादी शासन को अपने आत्मबल के द्वारा को उखाड़कर फेंका। गांधी जी ने शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण, ट्रस्टीशिप, जैसे अनेक विषयों पर अपने स्पष्ट सिद्धांत निरूपित किए।

    वह सामाजिक व्यवस्था में एक इंजीनियर के समान थे और अपने अभिनव प्रयोगों के द्वारा उन्होंने समाज को एक नई दिशा थी। गांधीजी कट्टरवाद के सदैव खिलाफ रहे हैं। चाहे वह हिंदू कट्टरवाद हो या मुस्लिम कट्टरवाद। अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए भले ही राजनीति के धुरंधर किस रूप में उसे लेते हैं, लोगों को बरगलाते हैं, यह मायने नहीं रखता।

    गांधीवादी सिद्धांत आज भी अजर-अमर हैं। गांधी किसी कांग्रेसी या किसी भाजपाई का नहीं है। वह संपूर्ण देश का है। सत्य, अहिंसा और प्रेम पर विश्वास करने वाले मानव का है। एक समन्वय वादी व्यवस्था का है।

    सार संक्षेप में कहा जाए तो आज भी गांधीवाद जिंदा है। देश को आगे बढ़ाने में एक राजनीतिक व्यवस्था के रूप में भी सर्वोपरि है। विश्व के लगभग दो सौ से भी अधिक राष्ट्र आज भी गांधी जी की प्रेरणा शक्ति को नमन करते हैं और विश्व शांति के अग्रदूत के रूप में मानते हैं। भले ही अपने भारत के कुछ स्वार्थी तत्व उन्हें गाली देते हों। यह उनकी नासमझी की हद है क्योंकि उनकी आंखों के सामने हमेशा स्वार्थ का पर्दा पड़ा रहता है। जिससे उनकी दृष्टि हमेशा धूमिल होती है।  ब्राइटसाइड देखने के बजाय वह हमेशा डार्क साइड पर ही विश्वास करते हैं।

    आज शहीद दिवस के अवसर पर मैं अपने समस्त चिर- परिचित लोगों को शुभकामनाएं देते हुए , सत्य- अहिंसा और प्रेम के मार्ग का अनुसरण करने के लिए, गांधी जी के द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलने के लिए आग्रह करता हूं। एक ऐसे समाज की परिकल्पना करना चाहता हूं ,जिसमें सुख और शांति हो, एकता हो, समन्वय हो, हर एक में  राष्ट्रीय भावना हो, कानूनों का आदर और पालन हो।व्यक्ति स्वस्थ रहें। स्वस्थ रहें। सुखी रहें। समृद्ध रहे। यही गांधी जी का भी विचार था। हम गांधी जी के महान विचारों को आत्मसात करें। उनका अनुसरण करें।

    समाज में फैली हुई भ्रांतियों को मिटाने और गांधीवाद के असली स्वरूप की परिचर्चा अवश्य करें। इसी में हमारी सच्ची श्रद्धांजलि निहित है।

      “रघुपति राघव राजा राम। पतित पावन सीता राम।     
      ईश्वर अल्लाह तेरो नाम।सबको सन्मति दे भगवान।”