कविता: स्वच्छता में जान है!

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स्वच्छता में जान है, सुंदरता महा वरदान है।
स्वच्छ सुंदर स्वस्थ भारत, जगत का अभिमान है।
स्वच्छ पावन स्वस्थ दुनिया, यह जीवन आधार है।
सौंदर्यशाली स्वस्थ जीवन, सृष्टि का स्वाभिमान है।
जलवायु ध्वनि  मृदा प्रदूषण, मौत का फरमान है !
पॉलीथिन प्लास्टिक कचरा, नित रोग का घरवार है।

         स्वच्छता में जान है, सुंदरता महा वरदान है !
निरोग तन मन प्रकृति काया,स्वच्छता का प्राण है।
साफ सुथरी वसुंधरा यह, अलभ्य शुचित महान है।
जानवर से भी बदतर ! यह आज कथित इंसान है।
जो गंदगी को देवे बढ़ावा, वह मानव नहीं हैवान है।
स्वच्छ शहर समीर नदियां, पेड़ पर्वत ग्राम स्थान हैं।
स्वच्छता में जान है, सुन्दरता महा वरदान है !

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स्वच्छ आकर्षण धरा में, भगवान का  नित वास है।
स्वस्थ जीवन स्वच्छता ही, उद्देश्य लक्ष्य अरमान है।
स्वच्छता पर ध्यान देना, सर्वोच्च पूजा प्रभु मान है।
जन- जागरण उत्पन्न करना, यह परम- सौभाग्य है।
स्वच्छता का ध्यान धरना, कर्तव्य परम पुरषार्थ है।
स्वच्छता में जान है, सुंदर सा वरदान है !

@कवि: सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत’

(स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर) 
नगर पालिका परिषद चंबा, टिहरी गढ़वाल।