“अत्यंत दुःखद, नि: शब्द, अत्यधिक कटु समाचार, असहनीय, अविश्वसनीय किन्तु अपरिहार्य श्रीमद्भागवत विभूषण, अलौकिक विभूति श्रीमद्भागवत के ही नहीं संस्कृत के अद्वितीय विद्वान, अविस्मरणीय साक्षात सरस्वती पुत्र हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषाओं के धनी मखलोगी धारअकरिया पट्टी के ही नहीं अपितु सम्पूर्ण उत्तराखण्ड के अद्वितीय विद्वान तथा टिहरी गढ़वाल के एक मजबूत स्तम्भ मेरे मानस गुरु पुण्य आत्मा, वाराणसेय संस्कृत ‘विश्वविद्यालय वनारस के टॉपर’ श्री जयानन्द उनियाल शास्त्री जी का शरीर आज सुबह पंचतत्व में विलीन हो गया है।
वह इस समय 98 वर्ष के थे । सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वे उनको अपने श्री चरणों में स्थान दें व दिवंगत विभूति की आत्मा को शान्ति प्रदान करेंगे तथा शोक संतप्त परिवार व परिजनों को इस असहनीय दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करेंगे। ॐ शान्ति ॐ शान्ति ॐ शान्ति ॐ ।” *आचार्य हर्ष मणि बहुगुणा