तुलसी महिमा: प्रतिदिन तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है

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तुलसी विवाह : प्रतिदिन तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है
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वृन्दायै तुलसी देव्यै, प्रियायै केशवस्य च
कृष्ण भक्ति प्रदे देवी, सत्य वक्तै नमो नमः

वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनी विश्वपूजिताम्
पुष्पसारां नन्दिनी च तुलसी कृष्णजीवनीम्
एतन्नामाष्टकं चैतत्स्तोत्रं नामार्थसंयुतम्
य: पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत्

पत्रं पुष्पं फलं मूलं शाखा त्वक् स्कन्धसंज्ञितम्
तुलसी संभवं सर्वं पावनं मृत्तिकादिकम

सरहद का साक्षी @ ई०/पं०सुन्दर लाल उनियाल (मैथिल ब्राह्मण)

तुलसी जी के इन आठ नामों का पाठ करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है इसके साथ साथ तुलसी जी के पत्ते, फूल, फल, मूल, शाखा, छाल, तना और मिट्टी आदि सभी पावन हैं।

लंका में श्री विभीषण जी के घर में तुलसी का पौधा देखकर ही हनुमान जी अति हर्षित हुये थे, इसकी महिमा के वर्णन में कहा गया है कि:-

नामायुध अंकित गृह शोभा वरिन न जाई
नव तुलसिका वृन्द तहंदेखि हरषि कपिराई

तुलसी की आराधना करते हुए हमारे ऋषि मुनि व आचार्य अपने अपने अनुसार तुलसी की कई प्रकार से महिमा लिखते हुये कहते हैं कि:-

महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्य वर्धिनी
आधिव्याधि हरिर्नित्यं तुलेसित्व नमोस्तुते

हे तुलसी! आप सम्पूर्ण सौभाग्यों को बढ़ाने वाली हैं सदा आधि- व्याधि को मिटाती हैं आपके श्रीचरणों में नमस्कार है। तुलसी को लगाने से, पालने से, सींचने से, दर्शन करने से, स्पर्श करने से, मनुष्यों के मन, वचन और काया से संचित पाप भी जल जाते हैं।

वायु पुराण में तुलसी पत्र तोड़ने के कुछ नियम मर्यादाएँ बताते हुए लिखा है कि:-

अस्नात्वा तुलसीं छित्वा यः पूजा कुरुते नरः
सोऽपराधी भवेत् सत्यं तत् सर्वनिष्फलं भवेत्

बिना स्नान किए न तो तुलसी को तोड़ना चाहिये और न उनकी पूजा करनी चाहिये। गले में तुलसी की माला पहनने से विधुत की लहरें निकलकर रक्त संचार में रूकावट नहीं आने देतीं। प्रतिदिन तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है। तुलसी जी की महिमा अनंत है।

प्रतिदिन तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है।
Tulsi

भगवती तुलसी जी की नियमित पूजा पाठ करने एवं उनमें भक्ति व श्रद्वाभाव रखने मात्र से ही भगवान श्रीकृष्ण की कृपा सहज में ही प्राप्त हो जाती है।

आओ सब अपने बच्चों के साथ मिलकर अपने अपने घर के आंगन में एक तुलसी जी का पौधा लगायें जो हर प्रकार से हम सबके जीवन के लिये सदा सदा सर्वदा उपयोगी है।

तुलसी केवल एक पौधा नही बल्कि धरा के लिए वरदान है और इसी वजह से हिंदू धर्म में इसे पूज्यनीय माना गया है। आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा गया है क्योंकि ये औषधि भी है और इसका नियमित उपयोग आपको उत्साहित, खुश और शांत रखता है। भगवान विष्णु की कोई भी पूजा बिना तुलसी के पूर्ण नहीं मानी जाती है।

*नैतिक शिक्षा व आध्यात्मिक प्रेरक
दिल्ली/इंन्दिरापुरम,गा०बाद/देहरादून