गुप्त नवरात्र
*प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी*
*तृतीयं चंद्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्*
*पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च*
*सप्तमं कालरात्रीति, महागौरीति चाष्टमम्*
*नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:*
*उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:*
वर्षभर में चार बार ऋतुओं के संघिकाल में भगवती की पूजा के नौ दिवसीय पर्व आते है, इस प्रकार पूरे वर्ष मे कुल चार नवरात्र होते है।
जिसमें आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक की नवरात्र गुप्त नवरात्र मानी जाती है तथा चैत्र व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक की दो प्रकट नवरात्र अर्थात सामान्य नवरात्र मानी जाती है।
*इस माघ मास मे दिo 2-2-2022 से प्रारम्भ हो रहे गुप्त नवरात्रों* में मुख्य रूप से दस महाविद्याओं की पूजा व आराधना पूरे विधि- विधान से ही किये जाने का प्रावधान है।
लेकिन यदि कोई इन गुप्त नवरात्र में भी भगवती दुर्गा जी की ही सामान्य पूजा करना चाहते है वे सभी देवी दुर्गा की या उनके नौ स्वरूपों की पूजा भी कर सकते है।
दिनाँक 2-2-2022 से प्रारम्भ हो रहे गुप्त नवरात्र के प्रथम दिवस के शुभ अवसर पर हम सपरिवार आप सबकी ओर से भगवती के श्रीचरणो में साष्टांग वन्दन एव नमन करते हैं।
वात्सल्य की साक्षात मूर्ति एवं सभी प्रकार के रसो की रसेश्वरी भगवती ही स्वयं में मंत्र भी है और मंत्र धारणा भी वही साक्षात श्रीत्रिपुरसुन्दरी व श्रीराजराजेश्वरी ही है।
इन गुप्त नवरात्रो मे सृष्टि के सभी जीवों के मंगल एवं कल्याण के लिये आओ सब मिलकर माँ भगवती का आवाहन और पूजन करें।
मॉ भगवती आप और हम सभी की मनोकामना पूर्ण कर सबका कल्याण व मंगल करें, सभी सुखी स्वस्थ,समृद्ध एव निरोगी एवं दीर्घायु हों। भगवती के श्रीचरणों से प्रतिपल यही कामना व प्रार्थना करते है।
*ईo/पंo सुन्दर लाल उनियाल (मैथिल ब्राह्मण)*
*नैतिक शिक्षा व आध्यात्मिक प्रेरक*
*दिल्ली/इन्दिरापुरम, गाoबाद/देहरादून*