भगवती श्री चंद्रघंटा के पूजन-अर्चन से होता है भय का नाश और साहस की प्राप्ति

59
यहाँ क्लिक कर पोस्ट सुनें

[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @*ई०/पं०सुन्दर लाल उनियाल[/su_highlight]

पिण्डजप्रवरारुड़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। 
प्रसादं तनुते मह्मं चंद्रघण्टेति विश्रुता

[su_dropcap size=”2″][/su_dropcap]जकल चल रहे शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपो के तीसरे दिन की अधिष्ठात्री देवी आदि शक्ति मां भगवती श्री चंद्रघण्टा की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवती श्री चंद्रघंटा के पूजन-अर्चन से भय का नाश और साहस की प्राप्ति होती है। भगवती श्री चंद्रघटा देवी को शांतिदायक और भक्तों का कल्याण करने की देवी माना जाता है। माँ भगवती के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसलिये इन्हे श्रीचंद्रघंटा देवी कहा जाता है। भगवती की कृपा से सभी साधकों के समस्त पाप और बांधाएं खत्म हो जाती है साथ ही साथ इनकी पूजा-आराधना से साधक मे वीरता- निर्भरता के साथ ही स्वर मे दिव्य,अलौकिक तथा माधुर्य का समावेश हो जाता है।

इन नवरात्र के पुनीत अवसर पर मॉ भगवती की पूजा- अर्चना के साथ-साथ यदि हम सभी अपने-अपने माता-पिता की भी किसी भी प्रकार से पूजा अर्चना कर उन्हें उनको वह आदर-सम्मान व प्रसन्नता दें, जिनके वे हकदार हैं, तभी हमारे द्वारा नवरात्र में की गयी साधना ज्यादा सार्थक हो सकेगी। वे मानव व वह घर बहुत ही धन्य तथा सौभाग्यशाली हैं, जिनके पास माता-पिता है और वे उनके साथ रहते या वे उनको अपने पास ही रखते हैं। इसके लिये हमें अपने पद- प्रतिष्ठा धन- ऐश्वर्य- वैभव तथा जवानी में शरीर के ताकत रुपी गठरी को एक तरफ रखना होगा, जो सेवा व सेवाभाव में बाधक होता है साथ ही हमें अपने निर्णय, नीति, निष्ठा तथा निस्वार्थ सेवाभाव को भी सकारात्मकता देनी होगी, सदैव ध्यान रक्खें कि भौतिक सुख- सुविधाएं अर्थात पदार्थ प्रारम्भ में सुखदायी तो लगते हैं, पर इन सबका अंत बहुत ही दुखदायी होता है। अत: पदार्थ से नही परमार्थ पर दृष्टि रक्खें, इससे आपका कल्याण ही होगा।

आपके सरल, सुखद,स्वस्थ एवं समृद्ध जीवन की मंगल कामना व प्रार्थना में रत।

[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]नैतिक शिक्षा व आध्यात्मिक प्रेरक,  दिल्ली/इन्दिरापुरम, गा०बाद/देहरादून[/su_highlight]