आज विश्व पर्यावरण दिवस है, हमें अपने पर्यावरण को सुरक्षित व संरक्षित रखने के लिए यथा सम्भव प्रयास करना चाहिए, मूलतः वृक्षों को बचाना है, जंगलों को आग से बचाना है। हम भगवान श्री कृष्ण के इस विचार से प्रेरणा लेकर कुछ न कुछ चिन्तन अवश्य करें।
सरहद का साक्षी @ आचार्य हर्षमणि बहुगुणा
जब गर्मियों का मौसम था, सूर्य प्रचण्ड रूप से तप रहा था तब विशाल वृक्षों की छाया बहुत शीतल व सुखद लग रही थी। यही कारण है कि जेठ के महीने विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का संकल्प लिया, जिससे हमें वृक्षों का महत्व समक्ष में आ सके। जब भगवान श्री कृष्ण सात वर्ष के भी नहीं थे, तब अपने बाल मित्रों को भीषण गर्मी में समझा रहे थे कि मित्रों! इन वृक्षों को देखो, — ये किस प्रकार दूसरों के लिए जीवन धारण करते हैं।
अपने आप भयंकर गर्मी, वर्षा, हवा , सर्दी आदि सहन करते हैं, और हमारी इन सब से रक्षा करते हैं। इन जंगलों में हमारा अभिनन्दन करने के लिए सदैव खड़े हैं। इनके पास जो कुछ भी है — चाहे – पत्र हैं, पुष्प, फल, मूल, छाल सब हमें अर्पित करने के लिए तत्पर हैं।
अतः इनकी सुरक्षा का उत्तरदायित्व हमारा ही है, अतः आज संकल्प लें कि हर प्रकार से इनकी सुरक्षा हम करेंगे। मैं भी अपने संकल्प को पूरा कर रहा हूं आप भी अपना संकल्प अवश्य पूरा करें। हम शिव बनें, विश्व के कल्याण के लिए हला हल का पान करें। इसी में सबका हित निहित है, अपने लिए तो पशु जीता है, फिर हममें और पशुओं में क्या भेद है।