क्यों जलाते हैं अखण्ड ज्योति? और विशेष कर नवरात्र में ही क्यों?

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क्यों जलाते हैं अखण्ड ज्योति? और विशेष कर नवरात्र में ही क्यों? 

क्यों जलाते हैं अखण्ड ज्योति? और विशेष कर नवरात्र में ही क्यों? प्राय: कुछ लोगों की भ्रांत धारणा है कि हम सत्संग में जाते हैं और हमारे स्वामी जी ने यह कह रखा है कि घर पर दीपक नहीं रखना चाहिए या दीपक नहीं जलाना चाहिए। उनके स्वामी जी ने क्या कहा? यह तो स्पष्ट नहीं है, पर यह कभी नहीं कहा होगा कि दीपक नहीं जलाना चाहिए। दीपक उजाले का कारक है और उजाला प्रकाश का पर्याय है। प्रकाश के अर्थ सभी समझते हैं, ‘ज्ञान का प्रकाश’ बुद्धि की शुद्धि निश्चित रूप से करता है, किसी भी रूप में इसका अर्थ अन्धकार को दूर करने से है विशेष कर ‘अज्ञानान्धकार‘।

आज के भौतिक सम्पन्न युग से पूर्व जब आर्थिक परिस्थितियां विकट थी, कन्दराओं में हम लोग रहते थे तब प्रकाश का अन्य क्या साधन रहा होगा सिवा दीपक के। अस्तु आज नवरात्र का दूसरा दिन है अतः आज की चर्चा का विषय ‘अखण्ड दीपक’ को बना कर अपने सामान्य ज्ञान में कुछ वृद्धि करने की कोशिश करते हैं। आइए इस चर्चा में सम्मिलित होते हैं।

नवरात्र यानि नौ दिनों तक चलने वाली देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना (पूजा) के साथ ही इस पावन पर्व पर कई घरों में घटस्थापनाा (कलश स्थापना) होती है, तो कई जगह अखण्ड ज्योति का विधान भी है। यद्यपि हर घर में अखण्ड ज्योति जलाई जाती है। शक्ति की आराधना करने वाले व्यक्ति अखण्ड ज्योति जलाकर माँ दुर्गा की साधना करते हैं। अखण्ड ज्योति अर्थात् ऐसी ज्योति जो खण्डित न हो। अखण्ड ज्योति पूरे नौ दिनों तक अखण्ड रहनी चाहिए, यानी जलती रहनी चाहिए। अखण्ड दीप को विधिवत् मंत्रोच्चार से प्रज्वलित करना चाहिए। नवरात्री में अनेक नियमों का पालन किया जाता है। अतः यह भी एक सामान्य नियम है।

अखण्ड ज्योति का महत्व :

*नवरात्री में अखण्ड ज्योति का बहुत महत्व होता है। इसका बुझना अशुभ माना जाता है। जहां भी ये अखण्ड ज्योति जलाई जाती है वहां पर किसी न किसी की उपस्थिति जरुरी होती है, इसे खाली छोड़ कर नहीं जाते हैं न जाना चाहिए। अखण्ड ज्योति में दीपक की लौ बांये से दांये की तरफ जलनी चाहिए। (यह प्रकृति और भाग्य पर निर्भर करता है) इस प्रकार का जलता हुआ दीपक आर्थिक प्राप्‍ति का सूचक होता है। दीपक का ताप दीपक से 4 अंगुल चारों ओर अनुभव होना चाहिए, ऐसा दीपक भाग्योदय का सूचक होता है। जिस दीपक की लौ सोने के समान रंग वाली हो वह दीपक आपके जीवन में धन-धान्य की वर्षा कराता है एवं व्यवसाय में तरक्की का सन्देश देता है।

निरंन्तर एक वर्ष तक अखण्ड ज्योति जलने से हर प्रकार की खुशियों की बौछार होती है। ऐसा दीपक वास्तु दोष, क्लेश, तनाव, गरीबी आदि सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करता है। अगर आपकी अखण्ड ज्योति बिना किसी कारण के स्वयं बुझ जाए तो इसे अशुभ माना जाता है। दीपक में बार-बार बत्ती नहीं बदलनी चाहिए। दीपक से दीपक जलाना भी अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से रोग में वृद्ध‍ि होती है, मांगलिक कार्यो में बाधायें आती हैं। संकल्प लेकर किए अनुष्‍ठान या साधना में अखण्ड ज्योति जलाने का प्रावधान है। अखण्ड ज्योति में घी डालने या फिर उसमें कुछ भी बदलाव का काम केवल साधक को ही करना चाहिए, अन्य किसी व्यक्ति से नहीं करवाना चाहिए।

अखण्ड ज्योति स्वास्थ्य के लिए भी शुभ फल दायक है। दरअसल ऐसा माना जाता है कि मां के सामने अखण्ड ज्योति जलाने से उस घर में हमेशा ही मां की कृपा बनी रहती हैं। नवरात्र में अखण्ड दीप जलाना स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है क्योंकि घी और कपूर की महक से इंसान की श्वास और नर्वस सिस्टम में लाभदायक रहता है। नवरात्र में अखण्ड दीप जलाने से मां कभी अपने भक्तों से नाराज नहीं होती हैं। नवरात्र में अखण्ड ज्योति से पूजा स्थल पर कभी भी बुरी प्रवृत्तियों (अनाप-शनाप चीजों) का साया नहीं पड़ता है।

नवरात्र में घी या तेल का अखण्ड दीप जलाने से दिमाग में कभी भी नकारात्मक सोच हावी नहीं होती है और चित्त प्रसन्न और शांत रहता है। घर में सुगंधित दीपक की महक से चित्त एकाग्र व अनुकूल रहता है जिसके चलते घर में झगड़े नहीं होते, वातावरण शांत रहता है।

“अपने पूजा स्थल में सदैव दीपक की लौ जलती रहनी चाहिए, आपने देखा होगा कि अधिकांश घरों में हल्का बल्व पूजा घर में अखण्ड ज्योति का काम करता है।”

ज्योतिषाचार्य हर्षमणि बहुगुणा