कुल देवी देवता क्यों आराध्य हैं, कैसे जानें कौन हैं आपके कुल देवता?

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क्षेत्रीय विधायक सुबोध उनियाल द्वारा एक लाख रुपए की धनराशि अवमुक्त कर मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया था
पौराणिक शिवालय श्री महादेव ग्राम छाती
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आज ईष्ट देवता, ग्राम देवता या कुल देवी या देवता के विषयक जानकारी करने का एक लघु प्रयास करते हैं, और उनकी पूजा अर्चना करनी चाहिए अथवा नहीं, इस पर भी चर्चा करते हैं।

[su_highlight background=”#880e09″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @आचार्य हर्षमणि बहुगुणा[/su_highlight]

भारत में ईश्वर को सर्वोपरि माना गया है और आज समूचा विश्व भारतीय पद्धति को अपनाने के लिए लालायित हैं, हमारे मनीषियों ने बहुत चिन्तन के बाद इस तरह का ज्ञान बांटा है, किन्तु हम पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण कर स्वयं को आधुनिकता की चकाचौंध में लिप्त मान कर अपनी संस्कृति को भुला रहे हैं, जो हमारे पतन का कारण बनता जा रहा है, हम न धर्म के विषयक जानकारी रखते हैं और न जानकारों की सलाह ही मानते हैं। अतः इस पर चिन्तन आवश्यक है, अपेक्षित भी है तभी सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। कुछ न कुछ विचार अवश्य कीजिए।

कुलदेवी/देवता की पूजा क्यों करनी चाहिए?

हिन्दू पारिवारिक आराध्य व्यवस्था में कुल देवता/ कुलदेवी का स्थान सदैव से रहा है। प्रत्येक हिन्दू परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज हैं जिनसे उनके गोत्र का पता चलता है, बाद में कर्मानुसार इनका विभाजन वर्णों में हो गया विभिन्न कर्म करने के लिए, जो बाद में उनकी विशिष्टता बन गया और जाति कहा जाने लगा। पूर्व के हमारे कुलों अर्थात् पूर्वजों के खानदान के वरिष्ठों ने अपने लिए उपयुक्त कुल देवता अथवा कुलदेवी का चुनाव कर उन्हें पूजित करना शुरू किया था ताकि एक आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति कुलों की रक्षा करती रहें जिससे उनकी नकारात्मक शक्तियों/उर्जाओं और (बाहरी) ‌वायव्य बाधाओं से रक्षा होती रहे तथा वे निर्विघ्न अपने कर्म पथ पर अग्रसर रह कर उन्नति करते रहें।

समय क्रम में परिवारों के एक दूकहा‌ स्थानों पर स्थानांतरित होने, धर्म परिवर्तन करने, आक्रान्ताओं के् भय से विस्थापित होने, जानकार व्यक्ति के असमय दिवंगत होने, संस्कारों के क्षय होने, विजातीयता के पनपनेसम्मान न देने अथवा इनके पीछे के कारण को न समझ पाने के कारण बहुत से परिवार अपने कुल देवता /देवी को भूल गए अथवा उन्हें मालूम ही नहीं रहा कि उनके कुल देवता /देवी कौन हैं या किस प्रकार उनकी पूजा की जाती है, इनमें पीढ़ियों से शहरों में रहने वाले परिवार अधिक हैं। कुछ स्वयंभू आधुनिक मानने वाले और हर बात में वैज्ञानिकता खोजने वालों ने भी अपने ज्ञान के गर्व में अथवा अपनी वर्त्तमान अच्छी स्थिति के गर्व में इन्हें छोड़ दिया या इनपर ध्यान ही नहीं दिया।

कुल देवता /देवी की पूजा छोड़ने के बाद कुछ वर्षों तक तो कोई खास अंतर समझ में नहीं आता, किन्तु उसके बाद जब सुरक्षा चक्र हटता है तो परिवार में दुर्घटनाओं, नकारात्मक ऊर्जा, वायव्य बाधाओं का बेरोक-टोक प्रवेश शुरू हो जाता है, उन्नति रुकने लगती है, पीढ़ियां अपेक्षित उन्नति नहीं कर पाती, संस्कारों का क्षय, नैतिक पतन, कलह, उपद्रव, अशांति शुरू हो जाती हैं, व्यक्ति कारण खोजने का प्रयास करता है परन्तु कारण जल्दी पता नहीं चलता क्योंकि व्यक्ति की ग्रह स्थितियों से इनका बहुत मतलब नहीं होता है और ज्योतिष आदि से इन्हें पकड़ना भी मुश्किल होता है, भाग्य कुछ कहता है और व्यक्ति के साथ कुछ और घटता है, कुल देवी या देवता हमारे वह सुरक्षा आवरण हैं जो किसी भी बाहरी बाधा, नकारात्मक ऊर्जा के परिवार में अथवा व्यक्ति पर प्रवेश से पहले सर्वप्रथम उससे संघर्ष करते हैं और उसे रोकते हैं, यह पारिवारिक संस्कारों और नैतिक आचरण के प्रति भी समय समय पर सचेत करते रहते हैं, किसी भी ईष्ट को दी जाने वाली पूजा को ईष्ट तक पहुंचाते हैं। यदि इन्हें पूजा नहीं मिल रही होती है तो यह नाराज भी हो सकते हैं और निर्लिप्त भी हो सकते हैं। ऐसे में आप किसी भी ईष्ट की आराधना करें वह उस ईष्ट तक नहीं पहुँचती क्योंकि सेतु कार्य करना बंद कर देता है। बाहरी बाधायें, अभिचार आदि, नकारात्मक ऊर्जा बिना बाधा व्यक्ति तक पहुंचने लगती है। कभी कभी व्यक्ति या परिवारों द्वारा दी जा रही ईष्ट की पूजा कोई अन्य बाहरी वायव्य शक्ति लेने लगती है। अर्थात् पूजा न ईष्ट तक जाती है न उसका लाभ ही मिलता है । ऐसा कुल देवी या देवता की निर्लिप्तता अथवा उनके कम सशक्त होने से होता है।

कुलदेवता या देवी सम्बंधित व्यक्ति के पारिवारिक संस्कारों के प्रति संवेदनशील होते हैं और पूजा पद्धति , उलटफेर, विधर्मीय क्रियाओं अथवा पूजाओं से रुष्ट हो सकते हैं। सामान्यतया इनकी पूजा वर्ष में एक बार अथवा दो बार निश्चित समय पर होती है, यह परिवार के अनुसार भिन्न समय होता है और भिन्न भिन्न विशिष्ट पद्धति भी होती हैं। शादी-विवाह-संतानोत्पत्ति आदि होने पर इन्हें विशिष्ट पूजाएँ भी दी जाती हैं। यदि यह सब बंद हो जाए तो या तो यह नाराज होते हैं या कोई मतलब न रख मूकदर्शक हो जाते हैं और परिवार बिना किसी सुरक्षा आवरण के पारलौकिक शक्तियों के लिए खुल जाता है, परिवार में विभिन्न तरह की परेशानियां शुरू हो जाती हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति और परिवार को अपने कुल देवता या देवी को जानना चाहिए तथा यथायोग्य उन्हें पूजा प्रदान करनी चाहिए, जिससे परिवार की सुरक्षा और उन्नति होती रहे।*

कैसे जाने कौन हैं आपके कुल देवी /देवता

यह महत्वपूर्ण है। आज के समय में बहुतायत में पाया जा रहा है की लोगों को अपने कुलदेवता/ देवी का पता ही नहीं है। वर्षों से कुलदेवता/ देवी को पूजा नहीं मिल रही है। घर-परिवार का सुरक्षात्मक आवरण समाप्त हो जाने से अनेकानेक समस्याएं अनायास घेर रही हैं नकारात्मक उर्जाओं की आवाजाही बे रोक टोक हो रही है। वर्षों से स्थान परिवर्तन के कारण पता ही नहीं है कि हमारे कुल देवी/देवता कौन हैं कैसे उनकी पूजा होती है कब उनकी पूजा होती है आदि आदि। इस हेतु एक प्रभावी प्रयोग है जिससे यह जाना जा सकता है की आपके कुलदेवता कौन हैं। यह एक साधारण किन्तु प्रभावी प्रयोग है जिससे आप अपने कुलदेवता अथवा देवी को जान सकते हैं।

इस प्रयोग को मंगलवार से शुरू करें और 11 मंगलवार तक करते रहें। मंगलवार को सुबह स्नान आदि से स्वच्छ पवित्र हो अपने देवी देवता की पूजा करें फिर एक साबुत सुपारी लेकर उसे अपना कुल देवी /देवता मानकर स्नान आदि करवाकर, उस पर मौली लपेटकर किसी पात्र में स्थापित करें इसके बाद आप अपनी भाषा में उनसे अनुरोध करें कि “हे कुल देवता में आपको जानना चाहता हूँ, मेरे परिवार से आपका विस्मरण हो गया है, हमारी गलतियों को क्षमा करते हुए हमें अपनी जानकारी दें , इस हेतु में आपका यहाँ आह्वान करता हूँ , आप यहाँ स्थान ग्रहण करें और मेरी पूजा ग्रहण करते हुए अपने बारे में हमें बताएं” इसके बाद उस सुपारी का पंचोपचार पूजन करें और रोज रात को उस सुपारी से प्रार्थना करें की हे कुल देवी/देवता में आपको जानना चाहता हूँ , कृपा कर स्वप्न में मार्गदर्शन दीजिये, फिर सुपारी को तकिये के नीचे रखकर सो जाइए सुबह उठाकर पुनः उसे पूजा स्थान पर स्थापित कर पंचोपचार पूजन करें। यह क्रम प्रथम मंगलवार से 11 मंगलवार तक जारी रखें हर मंगलवार को व्रत रखें इस अवधि के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें , यहाँ तक की बिस्तर और सोने का स्थान तक शुद्ध और पवित्र रखें ब्रह्मचर्य का पालन करें और मांस-मदिरा से पूर्ण परहेज रखें।

इस प्रयोग की अवधि के अन्दर आपको स्वप्न में आपके कुलदेवता/ देवी की जानकारी मिल जायेगी। अगर खुद न समझ सकें तो किसी योग्य जानकार से स्वप्न विश्लेषण करवाकर जान सकते हैं। इस तरह वर्षों से भूली हुई, कुलदेवी/ कुलदेवता की समस्या हल हो जाएगी और पूजा देने पर आपके परिवार की बहुत सी समस्याएं समाप्त हो जायेंगी।