हम मर भी जांए तो गम नहीं,
हमारे पास खोने को कुछ नहीं।
हम मर भी जांए तो गम नहीं,
हमारे साथ जाने को कुछ नहीं।
परमाणु बम फटे या कुछ और,
हमारे स्वर्ग का द्वार खुल जाएगा।
मरना तो उन दौलतमंदों को है,
जिन्हें निश्चित नरक मे जाना है।
गरीब की कोई मौत होती है भला,
वह तो जीते जी मर चुका होता है।
मरना तो निश्चित दौलतमंदों का है,
जो हर पल तिल तिल कर मरते हैं।
हम वज्र परमाणु प्रहार झेल जाते हैं,
कयामत आने पर भी ठहर जाते हैं।
न मरने का खौफ, न जीने की इच्छा है,
हम तो मर कर भी अमर हो जाते हैं।
कवि:सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत