जड़धार गांव के ग्रामीणों ने यूं अनोखे अंदाज में मनाया विश्व पर्यावरण दिवस

182
जड़धार गांव के ग्रामीणों ने यूं अनोखे अंदाज में मनाया विश्व पर्यावरण दिवस
play icon Listen to this article

जड़धार गांव के ग्रामीणों ने यूं अनोखे अंदाज में मनाया विश्व पर्यावरण दिवस

जब जंगल में गूंजे क्या है जंगल के उपकार मिट्टी पानी और बयार जैसे नारे

ग्रामीणों ने की वन देवी की पूजा, लिया पर्यावरण संरक्षण का संकल्प

नई टिहरी। ग्राम पंचायत जड़धार गांव के ग्रामीणों ने विश्व पर्यावरण दिवस को अनोखे अंदाज में मनाया। उन्होंने किसी हॉल या चौपाल के बजाय जंगल में पर्यावरण दिवस मनाया, जहां क्या है जंगल के उपकार। मिट्टी पानी और बयार जैसे नारे गूंजे। इस मौके पर ग्रामीणों ने वन देवी की पूजा की और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। जंगल में वन सेवकों को सम्मानित भी किया गया।

विकासखंड चंबा की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत जड़धार गांव के ग्रामीणों ने विश्व पर्यावरण दिवस को जंगल में अनोखे अंदाज में मनाया। सर्व प्रथम ग्रामीण गांव के सैण नामे जंगल में एकत्र हुए। जहां उन्होंने पहले वन देवी की पूजा की और उसके बाद ‘क्या है जंगल के उपकार, मिट्टी पानी और बयार। मिट्टी पानी और बयार, जिंदा रहने के आधार जैसे नारों से वातावरण को गुंजायमान कर दिया। वहीं ई बांज, बुरांश- सि कुलै की डाली, न काटा न काटा यूं रखा जग्वाली, जैसे जागरूकता गीत भी गाए। उसके बाद पेड़ों की छांव तले जागरूकता गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें पर्यावरणविद् व वन सुरक्षा समिति के संरक्षक विजय जड़धारी ने कहा कि मात्र बंद एसी कमरों में बैठकर चर्चा करने से जंगलों को नहीं बचाया जा सकता।

उन्होंने कहा कि जिस दिन हर जगह के ग्रामीण यह समझ जाएंगे कि जंगल उनकी अपनी संपत्ति है, उसी दिन से जंगलों का नुकसान होना बंद हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि 1980 में जड़धार गांव के ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से अपने गांव के जंगल को बचाने का निर्णय ले लिया था और उसके बाद जंगल की देख-रेख के लिए चौकीदार नियुक्त किए। जिसकी बदौलत गांव के ठीक सिरहाने करीब 10 वर्ग किलोमीटर हरा भरा मिश्रित पनप पाया।

उन्होंने बताया कि जिस तरह का जंगल गांव के लोगों ने बनवाया उसके लिए कहीं से भी कोई सरकारी अनुदान अथवा बजट ग्राम पंचायत को नहीं मिला। ग्रामीणों की खुद की मेहनत से ही जंगल तैयार हो पाया।

इस मौके पर वन पंचायत के सरपंच राजेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि मिश्रित जंगल में चीड़ का बढ़ना खतरनाक है, इसलिए उसकी दखल को रोकना जरूरी है ताकि जंगल में आग न लग सके।

क्षेत्र पंचायत सदस्य सुखपाल सिंह जड़ धारी, सामाजिक कार्यकर्ता उत्तम सिंह जरदारी ने ग्रामीणों के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि हर वर्ष पर्यावरण दिवस के मौके पर जंगल में ही कार्यक्रम होने चाहिए। उन्होंने कहा कि जंगल का महत्व जंगल में रहकर जात ज्यादा समझा जा सकता है।

इस मौके पर विनोद सिंह जड़धारी, सुमेर सिंह, सुशीला देवी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। वहीं जंगल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वन सेवकों कृपाल सिंह (मरणोपरांत) और हुकम सिंह को सम्मानित किया गया। सम्मान के रूप में उन्हें शाल व नगद धनराशि दी गई। गोष्ठी की अध्यक्षता महिला मंगल दल की अध्यक्ष चमनी देवी द्वारा की गई।

इस मौके पर ग्राम पंचायत सदस्य विपिन जड़धारी, विनीता देवी, लक्ष्मी देवी, आशीष जड़धारी, साब सिंह, आयुष, रुकमा देवी आदि मौजूद थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here