राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी (महिला) और देश की प्रमुख महिला नेत्रियों में से एक थीं विजयलक्ष्मी पंडित

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जन्म दिवस पर विशेष

भारत के लिए नेहरू परिवार का बलिदान और योगदान अविस्मरणीय है जिसे राष्ट्र हमेशा याद रखेगा। पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी विजय लक्ष्मी पण्डित का जन्म 18 अगस्त सन् 1900 को इलाहाबाद उत्तर प्रदेश के एक कुलीन घराने में हुआ था।

सरहद का साक्षी, केदार सिंह चौहान ‘प्रवर’

विजय लक्ष्मी पण्डित ने भी देश की स्वतंत्रता में अविस्मरणीय योगदान दिया है। सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें जेल में बन्द किया गया था। वे एक पढ़ी-लिखी और प्रबुद्ध महिला थीं। विदेशों में आयोजित विभिन्न सम्मेलनों में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। भारत के राजनीतिक इतिहास में वे पहली महिला मंत्री थीं। वे संयुक्त राष्ट्र की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष भी रहीं। स्वतंत्र भारत की पहली महिला राजदूत विजय लक्ष्मी पण्डित ने मास्को, लंदन और वाशिंगटन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

गांधी जी के असहयोग आंदोलन में लिया हिस्सा

राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी और देश की प्रमुख महिला नेत्रियों में से एक विजय लक्ष्मी पंडित मोती लाल नेहरू की पुत्री तथा जवाहर लाल नेहरू की बहन थीं। जिनका बचपन का नाम स्वरूप था। उन्होंने अपनी सारी शिक्षा एक अंग्रेज अध्यापिका से घर पर ही प्राप्त की थी। वर्ष 1919 ई. में जब महात्मा गांधी आनन्द भवन में आकर रुके तो विजय लक्ष्मी पंडित उनसे बहुत प्रभावित हुई। इसके बाद उन्होंने गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भी भाग लिया। इसी बीच 1921 में उनका विवाह बैरिस्टर रणजीत सीता राम से हुआ।

प्रथम भारतीय महिला मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण

1937 के चुनाव में राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी विजय लक्ष्मी उत्तर प्रदेश विधान सभा की सदस्य चुनी जाकर उन्होंने भारत की पहली महिला मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। मंत्री स्तर का दर्जा पाने वाली वह भारत की पहली महिला थीं। द्वितीय विश्व युद्ध के आरम्भ होने के बाद मंत्री पद छोड़ते ही उन्हें फिर बन्दी बना लिया गया। जेल से बाहर आने पर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में वे फिर से गिरफ्तार की गई। 14 जनवरी 1944 को उनके पति रणजीत सीता राम पंडित का निधन हो गया।

अमेरिका में किया भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में जोरदार प्रचार

सन् 1945 में वे अमेरिका गई और अपने भाषणों के द्वारा उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में जोरदार प्रचार किया। 1946 में वे पुनः उत्तर प्रदेश विधान सभा की सदस्य और राज्य सरकार में मंत्री बनीं। स्वतंत्रता के बाद राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी विजयलक्ष्मी पंडित ने संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया और संघ में महासभा की पहली महिला अध्यक्ष निर्वाचित की गई। उन्होंने रूस, अमेरिका, मैक्सिको, आयरलैण्ड और स्पेन में भारत के राजदूत का और इंग्लैण्ड में हाई कमिश्नर के पद पर कार्य किया।

1952 और 1964 में वे लोकसभा की सदस्य चुनी गई और कुछ समय तक वे महाराष्ट्र की राज्यपाल भी रहीं। राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी विजय लक्ष्मी पंडित देश के अनेक महिला संगठनों से जुड़ी हुई थीं। अंतिम दिनों में वे केन्द्र सरकार की नीतियों की आलोचना करने लगी थीं। 01 दिसम्बर 1990 को उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया।