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वीसी गबर सिंह मेला चम्बा: संस्कृति और सामाजिक समरसता को अक्षुण्ण बनाये रखते हैं-  थौलू (मेला) त्यौहार

केदार सिंह चौहान 'प्रवर' by केदार सिंह चौहान 'प्रवर'
अप्रैल 22, 2022
in कला/संस्कृति, टिहरी
वीसी गबर सिंह मेला चम्बा: संस्कृति और सामाजिक समरसता को अक्षुण्ण बनाये रखते हैं-  थौलू (मेला) त्यौहार
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वैसाख मास थौलू (मेला) त्यौहार और पर्वों के लिए विख्यात है। आदिकाल से ही सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को बनाए रखने के लिए मेले, त्यौहारों और पर्वों का उल्लेख मिलता है। सनातन धर्म में मेले और त्यौहार सांस्कृतिक समन्वय के साथ-साथ विश्व बंधुत्व की भावना के प्रेरक हैं। साथ ही स्थानीय आवश्यकताओं की आपूर्ति करने में भी सहायक सिद्ध होते हैं।

सरहद का साक्षी @कवि: सोमवारी लाल सकलानी निशांत

किसी भी देवी- देवता, महान पुरुष और बलिदानी, दिवंगत सेनानी, शौर्य और पराक्रम के प्रतीक, उत्कृष्ट सामाजिक सेवाओं को समाज को देने वाले मनीषियों, के नाम पर इन मेलों का आयोजन किया जाता है। यूं तो धार्मिक मेले और त्यौहार भारत के कोने- कोने में अक्सर मनाए जाते हैं लेकिन कुछ मेले, त्यौहार तथा पर्व ऐसे होते हैं जिन्हें हम विशिष्ट दिनों को मनाते हैं।

वीसी गबर सिंह मेला चम्बा: संस्कृति और सामाजिक समरसता को अक्षुण्ण बनाये रखते हैं-  थौलू (मेला) त्यौहारधार्मिक मेलों में मेरे क्षेत्र का मां सुरकंडा देवी का मेला सदियों से मनाया जाता है जो कि निरंतर गतिमान है। आवागमन की सुविधा होने के कारण, देश की अर्थव्यवस्था संपन्न होने के कारण, तीर्थाटन का स्थान पर्यटन ने ले लिया है। यह व्यक्ति की रोजी-रोटी से जुड़ा हुआ प्रश्न भी है। असंख्य लोगों की आजीविका मेला, पर्व और त्योहारों के कारण चलती है। बाजार का विकास होता है। मंदी की समस्या दूर होती है और निष्क्रिय धन बाजार में आता है जिससे देश की संपन्नता भी बढ़ती है।
टिहरी जनपद में मां सुरकंडा देवी मेले के अलावा कैलापीर देवता का मेला, वी सी गबर सिंह नेगी मेला, शहीद नागेंद्र सकलानी मेला, धन सिंह देवता का मेला, मां कुंजापुरी मेला कुछ प्रमुख मेले हैं जिनको कि लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इसके अलावा अनेक स्थानों पर नाग देवता का मेला, महासू देवता का मेला, वीर कफ्फू चौहान का मेला आदि भी उल्लेखनीय हैं।

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कोरोना काल में संपूर्ण आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक गतिरोध उत्पन्न हो गया था और 02 वर्ष बाद एक सुकून मिला है। इस वर्ष पर्व, त्यौहार, मेले अपनी पुरानी लय में आ गए हैं।

07 गते बैसाख धन सिंह देवता का मेला हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। 08 गते बैसाख से तीन दिवसीय वी सी गबर सिंह मेला चंबा में गतिमान है। जिसमें प्रथम दिन प्रथम विश्व युद्ध के महानायक शहीद विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह नेगी को पुष्प चक्र अर्पित किए गए और सलामी दी गई। इसके बाद द हंस फाउंडेशन (द हंस कल्चरल सेंटर) दिल्ली के द्वारा वी सी गबर सिंह नेगी मेला समिति के अनुरोध पर श्री देव सुमन अटल आदर्श राजकीय इंटर कॉलेज चंबा के प्रांगण में इस सांस्कृतिक मेले का उद्घाटन किया, जो गतिमान है।

कार्यक्रम के पहले दिन प्रथम सत्र में द हंस फाउंडेशन की ओर से आदरणीय मंगला माता जी और भोले जी महाराज के प्रतिनिधि के रूप में उनके जनसंपर्क अधिकारी श्री विकास वर्मा और श्री योगेश सुंद्रियाल मेले में मौजूद रहे। द हंस फाउंडेशन के आर्थिक सहयोग के लिए शत-शत बार प्रणाम।

दोपहर के सत्र में चौक बाजार चंबा में मेले की भीड़ होने के कारण और कॉलेज प्रांगण में हवा, धूल के कारण आइटीबीपी के जवान अपने करतब दिखाने से वंचित रहे। यह स्थगित कार्यक्रम 23 तारीख को पुन: दिखाया जा सकता है।

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संध्याकालीन सत्र में उत्तराखंड संस्कृति विभाग की टीम ने लोगों को अपने स्वस्थ मनोरंजन के द्वारा मंत्रमुग्ध किया। श्रीमती संगीता नेगी, अरविंद कोहली, सुषमा पुंडीर और उनकी टीम के द्वारा लोक जीवन और लोक गाथाओं पर आधारित अनेकों प्रस्तुतियां प्रस्तुत की गई।

आज के कार्यक्रम में विद्यालयों के बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, खेलकूद आयोजित किए जाएंगे और संध्या सत्र में संस्कृति विभाग की ओर से स्थानीय लोक गायक और लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां प्रस्तुत की जाएंगी।

23 तारीख को आईटीबीपी के जवानों के कार्यक्रम के अलावा विद्यालयों के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे और संस्कृति विभाग की टीमें इसमें शिरकत करेगी। साथ ही माननीय सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह मेले का समापन करेंगी।

कल बड़ा सौभाग्य का दिन रहा। द हंस फाउंडेशन और कल्चरल सेंटर की ओर से मेला समिति की मांग के अनुसार ‘हंस फाउंडेशन’ ने इस को अपना गोद ले लिया है। औपचारिकताएं अक्टूबर माह तक पूर्ण कर दा हंस फाउंडेशन को प्रेषित की जाएंगी और अगले वर्ष से पूरी व्यवस्थाएं, आर्थिक सहयोग गतिविधियां, मेला समिति के सहयोग से उक्त फाउंडेशन संपन्न कराएगी।

सन् 1948 से गतिमान ‘शहीद नागेंद्र सकलानी मेला’ आयोजित किया जा रहा है और इसे राजकीय बहुउद्देश्यीय मेला घोषित कर दिया गया है। कल ही 21 अप्रैल 2022 को इसका विधिवत शासनादेश निर्गत हो चुका है जो कि किसी उपलब्धि से कम नहीं है। अब 15 गते बैसाख सत्यौं ( शहीद नागेंद्र सकलानी अटल आदर्श राजकीय इंटर कॉलेज,पुजारगांव प्रांगण) में भव्य मेले का आयोजन हो सकेगा। इसके लिए अग्रिम शुभकामनाएं प्रेषित की जाती है।

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मेले पर्व और त्योहार सामाजिक समरसता के लिए होते हैं लेकिन कभी-कभी इन का राजनीतिकरण जब होता है, या परस्पर वैमनस्य की आग में मनुष्य का मन जलता है तो अनेकों दुर्घटनाएं और अनहोनी हो जाती हैं जो कि संस्कृति की आत्मा पर प्रहार करने के समान है।
इसलिए हमें इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि मेले, त्यौहारों और पर्व के अवसर पर हम सामाजिकता बनाए रखें। किसी  की भावनाओं को ठेस ना पहुंचाएं। आपसी रंजश को समाप्त करें, न कि उन्हें बढ़ने दें।

समरसता के भाव से अपने आदि काल से चली आ रही परम्पराओं, मेले, पर्व, त्यौहार आदि को भाईचारे, सांस्कृतिक समन्वय, अपनी धार्मिक भावना, नैतिकता और अनुशासन के द्वारा गतिमान रखें। इसी में इन मेले, पर्व, त्योहारों  आदि का अस्तित्व निहित है।

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