नि:संदेह घाट ही शाश्वत सत्य है, जाना पड़ता है प्रत्येक को वहां एक न एक दिन

    84
    यहाँ क्लिक कर पोस्ट सुनें

    सेवाकाल में जब बच्चों को अमिताभ घोष द्वारा लिखित “घाट इज द ओनली वर्ल्ड” चेप्टर पढाता था। उसका संपूर्ण वृत मन मस्तिष्क में यदा कदा छा जाता है।

    हमारे सकलाना क्षेत्र के ग्राम मजगांव निवासी शिव प्रसाद उनियाल की माताजी का आज तड़के सुबह चंबा स्थित उनके निवास स्थल पर देहावसान हो गया।

    [su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @कवि:सोमवारी लाल सकलानी, निशांत[/su_highlight]

    श्री शिव प्रसाद उनियाल चंबा में अपना निजी कारोबार करते हैं। पूर्व में नगर पालिका परिषद के सभासद के रहे हैं। उनकी माताजी गृहणी थी और अपना भरापूरा परिवार छोड़ कर चली गई हैं। संपूर्ण जीवन सकलाना के मजगांव में गुजारा। लेकिन भाग्य में चंबा की मिट्टी लिखी हुई थी। पिछले कुछ समय से अपने पुत्र के साथ चंबा में रह रही थी। यहीं पर स्वर्ग सिधार गई।

    निजी कार्य से कहीं जाना था लेकिन इस नेक कार्य में सम्मिलित होना अपना कर्तव्य समझा और शव यात्रा में शामिल हुआ। यूं तो समय-समय पर सुख- दुख में सामाजिकता निभाता आया हूं, लेकिन घाट पर जाकर जो भाव उत्पन्न होता है, वह किसी अन्य जगह नहीं।
    सुबह से ही मेरे क्षेत्रवासियों, पुराने सहपाठियों, मित्रों और रिश्तेदारों तथा चिरपरिचितों का तांता लगा रहा।

    कोटी कॉलोनी स्थित खांडा खाला घाट पर निर्जीव देह का अंतिम संस्कार हुआ। 08 महीने पूर्व ही शिव प्रसाद उनियाल के पिताजी परम पूज्य स्व. श्री प्रेमदत्त उनियाल जी का भी देहावसान हुआ था। एक ही साल के भीतर माता- पिता का साया सिर से उठ जाना कष्ट कारक तो होता ही है, लेकिन यह विधि का विधान है। इसको हमें नियति मानकर चलना पड़ता है।

    डेड दशक पहले सकलाना वासियों का पैतृक घाट भल्डियाणा था। शायद मेरे पिताजी अंतिम व्यक्ति सकलाना के थे जिनका दाह संस्कार अपने इस पैतृक घाट पर हुआ हो, उसके बाद भल्डियाणा टिहरी झील के कारण जलमग्न हो गया और लोगों ने कोटी कॉलोनी, क्यारी आदि घाटों पर अपने मृत व्यक्तियों का दाह संस्कार करवाया है। अधिकांश लोग पूर्णानंद घाट ऋषिकेश, धार्मिक मान्यता के अनुसार या समृद्धि के कारण हरिद्वार के खड़खड़ी घाट में भी अंतिम संस्कार कराते हैं।

    सकलाना के कुछ लोगों का आज भी आपने गांव- गांव के समीप सौंग नदी तट या स्थानीय मड़घट में भी दाह संस्कार की रस्म पूरा करने में विश्वास है। केवल मुट्ठीभर पवित्र भस्म पवित्र गंगा जी में विसर्जित करते हैं। यह परिपाटी काफी समय से चली गई है।
    चंबा में शिव प्रसाद उनियाल जी की मां का निधन हुआ, इसलिए कोटी कालोनी स्थित खाडखाला घाट ही सबसे निकट का स्थान अंतिम संस्कार के लिए उपयुक्त था, जो संपन्न हुआ।
    बड़ी संख्या में मजगांव से लोग,अंतिम संस्कार में सम्मिलित हुए। शिव प्रसाद उनियाल के समस्त भाई, परिवार जन, नाते रिश्तेदार और मजगांव से उनके जजमान,ग्रामवासी,चंबा के लोग शव यात्रा में सम्मिलित हुए।

    मैं दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह अपने श्री चरणों में उन्हें स्थान दे और शोकाकुल परिवार को ढाडस दे। यही जीवन का सत्य है और निसंदेह “घाट इज द ओनली वर्ड” शाश्वत है। बड़े- छोटे, गरीब- अमीर, भले- बुरे सबको एक दिन घाट में जाना होता है और उसके पीछे छूट जाती हैं, समृर्तियां, हमारे कर्म और यादें।

    *(कवि कुटीर) सुमन कालोनी चंबा, टिहरी गढ़वाल