‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और विज्ञान की भूमिका’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन

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‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और विज्ञान की भूमिका’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन
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केन्‍द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है

राष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान संचारक, शिक्षक और वैज्ञानिक औपनिवेशिक भारत में विज्ञान की भूमिका के बारे में विचार-विमर्श कर रहे हैं

केन्‍द्रीय पृथ्वी विज्ञान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने न केवल देश की स्वतंत्रता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि देश के विकास में भी वे लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और विज्ञान की भूमिका’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे।

[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी, नई दिल्ली [/su_highlight]

उन्‍होंने यह भी कहा कि भारत की पराधीनता औपनिवेशिक वैज्ञानिक योजनाओं के माध्यम से तैयार की गई थी, और देश ने अपनी स्‍वतंत्रता भी भारतीय वैज्ञानिक योजनाओं के माध्यम से ही अर्जित की है। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वैज्ञानिकों की भूमिका के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी और कहा कि जो लोग विज्ञान में शामिल नहीं थे उन्होंने भी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के लिए वैज्ञानिक साधनों का उपयोग किया था। उन्होंने उदाहरण दिया कि सबसे बड़े महान वैज्ञानिक योद्धा कोई और नहीं बल्कि महात्मा गांधी ही थे और उनका अहिंसा और सत्याग्रह ब्रिटिश शासन का वैज्ञानिक प्रतिरोध ही था। डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने सर जे.सी. बोस की जयंती के अवसर पर उनके योगदान का भी स्‍मरण किया।

राष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान संचारक, शिक्षक और वैज्ञानिक औपनिवेशिक भारत में विज्ञान की भूमिका के बारे में विचार-विमर्श कर रहे हैं

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्‍बई के प्रोफेसर बी.एन. जगताप ने कहा कि  स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान विज्ञान, विकास, जागृति और स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा साधन था। उन्‍होंने कहा कि हमें अपने वैज्ञानिकों के योगदान पर चिंतन करने की आवश्यकता है। प्रोफेसर जगताप ने जोर देकर कहा कि औपनिवेशिक काल के दौरान सीमित संसाधनों के साथ विज्ञान का अभ्यास करना बहुत चुनौतीपूर्ण काम था लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने ऐसे प्रतिकूल समय में भी कई संस्थान बनाए हैं। वे उन्हें दूरदर्शी मानते हैं जो भविष्य की जरूरतों को समझ सके।

राष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान संचारक, शिक्षक और वैज्ञानिक औपनिवेशिक भारत में विज्ञान की भूमिका के बारे में विचार-विमर्श कर रहे हैं

मंगलवार को संपन्न हुए इस कार्यक्रम में श्री जयंत सहस्रबुद्धे ने एक आउटरीच व्याख्यान दिया था। उन्होंने पणजी, गोवा में आगामी भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) 2021 के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि इस साल आईआईएसएफ की परिकल्पना प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा आजादी के अमृत महोत्‍सव के लिए साझा किए गए पांच उद्देश्यों के आधार पर की गई है। आईआईएसएफ 2021 उन पांच उद्देश्‍यों को दर्शाता है जिनमें हमारा स्वतंत्रता आंदोलन, बेहतर भविष्य की कल्पनाएं, पिछले 75 वर्षों की उपलब्धियां, भविष्य के लिए योजना और शपथ शामिल हैं।

राष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान संचारक, शिक्षक और वैज्ञानिक औपनिवेशिक भारत में विज्ञान की भूमिका के बारे में विचार-विमर्श कर रहे हैं

डॉ. रंजना अग्रवाल, निदेशक, सीएसआईआर- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर) ने कहा कि यह सम्मेलन आजादी के अमृत महोत्सव को अलग तरीके से मनाने का एक प्रयास है क्योंकि यह स्वतंत्रता आंदोलन में वैज्ञानिकों की भूमिका पर केन्द्रित है। इस आयोजन के लिए 1500 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है और लगभग 250 सारांश, कविताएं और वैज्ञानिक लेख प्राप्त हुए हैं।

राष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान संचारक, शिक्षक और वैज्ञानिक औपनिवेशिक भारत में विज्ञान की भूमिका के बारे में विचार-विमर्श कर रहे हैं

विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ. नकुल पाराशर ने धन्यवाद प्रस्‍ताव किया। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर, विज्ञान प्रसार और विज्ञान भारती संयुक्त रूप से सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनपीएल) सभागार से हाइब्रिड मोड में विज्ञान संचारकों और शिक्षकों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संयुक्‍त रूप से आयोजन कर रहे हैं।