आईआईआरएस एवं राज्य आपदा प्राधिकरण के मध्य हुए दो समझौते, अंतरिक्ष एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली तथा ग्लेशियरों की करेंगे निगरानी

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आईआईआरएस एवं राज्य आपदा प्राधिकरण के मध्य हुए दो समझौते, अंतरिक्ष एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली तथा ग्लेशियरों की करेंगे निगरानी
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आपदा प्रबंधन से जुडे अधिकारियों एवं कार्मिकों को मिलेगा प्रशिक्षण

भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस) देहरादून एवं उत्तराखंड राज्य आपदा प्राधिकरण (यूएसडीएमए) के मध्य आज दो महत्वपूर्ण समझौते (एमआयू) हुए। जिसके तहत भारतीय सुदूर संस्थान देहरादून द्वारा अंतरिक्ष तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली के तहत होने वाले सतत विकास से संबंधी गतिविधियों को लेकर आपदा प्रबंधन के अधिकारियों एवं कार्मिकों को प्रशिक्षित करेगा तथा हिमालयी क्षेत्रों में अवस्थित ग्लेशियरों, हिमस्खलन, भू-स्खलन इत्यादि खतरों की सेटेलाइट के माध्यम से सतत निगरानी कर संभावित खतरों से पूर्व राज्य को सूचना उपलब्ध करायेगा।

[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी, देहरादून[/su_highlight]

आईआईआरएस देहरादून के परिसर में आयोजित समझौता कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सूबे के आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के साथ आज किये गये समझौते आने वाले समय में राज्य के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में आने वाली विभिन्न आपदाओं एवं अन्य चुनौतियों से निपटने में संस्थान का तकनीकी सहयोग एवं प्रशिक्षण लाभकारी साबित होगा। विभागीय मंत्री ने भरोसा दिलाया कि भविष्य में आपदा प्राधिकरण आईआईआरएस के साथ मिलकर आपदा के क्षेत्र में और भी जन उपयोगी कार्य करेगा जिसके लिए शीघ्र ही कार्य योजना तैयार कर पुनः एक कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा। कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने संस्थान द्वारा हिमालयी क्षेत्रों पर किये गये विभिन्न अध्ययनों का प्रस्तुतिकरण देते हुए पूर्व में केदारनाथ एवं उत्तरकाशी जिले में आई आपदाओं का सेटेलाइट तस्वीरों के साथ विश्लेषण किया।

भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान एवं राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मध्य हुए दो महत्वपूर्ण समझौते भविष्य के लिए राज्य में विभिन्न आपदाओं से निपटने में वरदान साबित होंगे। भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान द्वारा प्रदत्त सुझाव व तकनीकी सहयोग आपदा प्रबंधन विभाग को और दक्ष बनायेगा।  -डॉ. धन सिंह रावत

उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा वर्तमान में भी सेटेलाइट के माध्यम से हिमलायी क्षेत्रों में बनने वाली झीलों, हिमस्खलन एवं भू-स्खलन पर बराबर नजर रखी जा रही है। जिसकी सूचना एकत्रित होते ही भारत सरकार एवं राज्य सरकार को उपलब्ध करा दी जाती है। सचिव आपदा प्रबंधन एस.ए. मुरूगेशन ने संस्थान के साथ आज किये गये दो समझौता ज्ञापनों का विवरण देते हुए भविष्य में भी आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में मिलकर कार्य करने की बात कही।

उन्होंने सुदूरवर्ती तकनीकी को आपदा पूर्व तैयारियों के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने बताया कि संस्थान के माध्यम से आपदा प्राधिकरण द्वारा पूर्व में तैयार किये गये भौगोलिक सूचना प्रणाली पर आधारित उत्पाद पर कार्मिकों को प्रशिक्षित किया जायेगा। जिससे आपदा पूर्व तैयारियों के कार्यों में दक्षता हासिल हो पायेगी।

समझौता कार्यक्रम में आईआईआरएस देहरादून के डीन डॉ. एस.के. श्रीवास्तव, डॉ. अरिजीत राय, डॉ. हरिशंकर, डॉ. आर.एस. चटर्जी, अपर सचिव आनंद श्रीवास्तव, जितेन्द्र सोनकर, भाजपा नेता मयंक गुप्ता, डॉ. गिरीश जोशी, डॉ. पीयूष रौतेला, राहुल जगुराण तथा यूएसडीएमए के अधिकारी उपस्थित रहे।