भारत में बड़े उत्सव के रुप में मनाया जाता है भारतीय संस्कृति का यह प्रमुख गोपाष्टमी पर्व

51
भारत में बड़े उत्सव के रुप में मनाया जाता है भारतीय संस्कृति का यह प्रमुख गोपाष्टमी पर्व
यहाँ क्लिक कर पोस्ट सुनें

त्वं माता सर्वदेवानां त्वं च यज्ञस्य कारणम्।
त्वं तीर्थ सर्व तीर्थानां नमस्तेस्तु सदानघे।।

हे पाप रहिते! गौमाता तुम समस्त देवों की जननी हो। आप ही यज्ञ की कारण रूपा हो तथा आप ही समस्त तीर्थों की महातीर्थ भी हो, आपको सदैव नमस्कार है।

त्रि: सप्तभि: पिता पूत: पितृभि: सह तेनघ।
यत् साधोस्य गृहे जातो भवान्वै कुलपावन:।।

[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @*ई०/पं०सुन्दर लाल उनियाल[/su_highlight]

जिस घर में गौ भक्त गोरक्षक भारत का गौरव बढ़ाने वाली संतान पैदा होती हैँ उनकी इक्कीस पीढ़ी के पितरों का स्वत; ही उद्धार हो जाता है।

माता रूद्राणां दुहिता वसूना।
स्वसादित्यानाममृतस्य नाभि:।।
प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय मा।
गामनागामदितिं मा वधिष्ट।।

गाय ही रूद्रों की माता, वसुओं की पुत्री, आदित्यों की बहन और घृतरूप अमृत का खजाना है, गाय परोपकारी एवं कभी भी वध न करने योग्य हैँ।

गाय माता हमारी सनातन संस्कृति का मूल आधार स्तम्भ हैं, गाय के पंचगव्य से कई रोगों का निदान होता है। गाय की पूंछ पकड़कर वैतरणी पार की जाती है। व्यक्ति को मोक्ष तथा पुण्यात्माओं को लोकों की प्राप्ति होती है।

गुरु वशिष्ठ के अनुसार गाय माता पाँच प्रकार की नस्ल की होती हैं बहुला, कपीला, देवनी, सुरभी, नन्दनी एवं भोमा।

महर्षि शांडिल्य ऋषि के अनुसार भगवान कृष्ण ने स्वयं ब्रज में गोपाष्टमी के दिन से ही गोचारण लीला प्रारम्भ की थी, इसीलिये भारतीय संस्कृति का यह प्रमुख पर्व गोपाष्टमी ब्रज के साथ साथ पूरे भारत में भी बड़े उत्सव के रुप में मनाया जाता है। गायों की रक्षा करने के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण जी का अतिप्रिय नाम ‘गोविन्द’ पड़ा। भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा से सप्तमी तक गो-गोप-गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। इसीलिये इसी समय से अष्टमी को गोपाष्टमी के पर्व के रुप में मनाये जाने की परम्परा है।

शास्त्रों में गोपाष्टमी पर प्रात:काल गायों को स्नान कराकर, उन्हें सुसज्जित करके गन्ध पुष्पादि से उनका पूजन कर गायों को भोजन कराना चाहिए तथा उनकी चरण रज को मस्तक पर लगाना चाहिए ऐसा करने से सुख और सौभाग्य की वृद्धि होती है। आज गोपाष्टमी के पुनीत पर्व पर हम सबको संकल्प लेना चाहिये कि हम सभी केवल उत्सव तक सीमित न रहे अपितु गौ की सुरक्षा हेतु इस दिन को सम्पूर्ण भारतवर्ष में गौ दिवस के रूप में मनाने हेतु अपने अपने स्तर से पूर्ण प्रयास करें।

*नैतिक शिक्षा व आध्यात्मिक प्रेरक, दिल्ली/इन्दिरापुरम,गा०बाद/देहरादून