मृत्युना पाशदण्डाभ्याम् कालेन श्यामया सह, त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रीयतां मम।
कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे, यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति।।
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि, सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
आज दिन में 11-30 बजे से कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ होगी, आज ही के दिन लोक कल्याणार्थ विविध व्याधियों को नष्ट करने के लिये स्वयं भगवान श्री विष्णु जी ही श्रीधन्वन्तरि के रुप में प्रकट हुये थे।
क्षीरसागर मन्थन होने पर आप अमृत कलश लेकर प्रकट हुये तथा आपकी कृपा से ही देवताओं को अमृत प्राप्त हुआ था। आपने ही संसार को आयुर्वेद विद्या देकर रोगों से मुक्त किया।
सरहद का साक्षी @*ई०/पं०सुन्दर लाल उनियाल
हमारी मान्यताओं व परम्पराओं के अनुसार धनतेरस के दिन सांयकाल में घर के बाहर सूर्यपुत्र यमराज के लिये दीपदान करने से मानव को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
इसलिये हे नाथ इस शुभ अवसर पर हम सब आपके श्रीचरणों में साष्टांग प्रणाम करते हुये प्रार्थना करते हैं कि आपके द्वारा रचित इस सृष्टि के सभी जीव सदैव सुखी, स्वस्थ, समृद्ध एवं रोगमुक्त रहें तथा सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।
सुख, शान्ति, समृद्धि एवं रोगो के निवारण के इस महान पर्व धनतेरस की मंगलमय बेला पर हमारी तथा हमारे सनातनी परिवार की ओर से आपको तथा आपके समस्त परिवार को बहुत बहुत बधाई एव हार्दिक शुभकामनायें।
श्री हरि एवं भगवान श्री धन्वन्तरि जी के श्रीचरणों से कामना व प्रार्थना है कि वे इस पवित्र बेला में आपके व आपके परिवार को रोगमुक्त रखते हुये आपके जीवन को हर प्रकार से मंगलमय व प्रकाशित कर आपके सभी मन- मनोरथ पूर्ण करने की कृपा करें।
*नैतिक शिक्षा व आध्यात्मिक प्रेरक, दिल्ली/इन्दिरापुरम,गा०बाद/देहरादून