सुमन जी के विचार और सिद्धांतों के अनुरूप नहीं था मूर्ति अनावरण कार्यक्रम, श्री देव सुमन व्याख्यानमाला की आयोजित

110
यहाँ क्लिक कर पोस्ट सुनें

सुमन जी के विचार और सिद्धांतों के अनुरूप नहीं था मूर्ति अनावरण कार्यक्रम, श्री देव सुमन व्याख्यानमाला की आयोजित

[su_highlight background=”#1427b0″ color=”#fdfbef”]सरहद का साक्षी @कवि: सोमवारी लाल सकलानी निशांत।[/su_highlight]  अमर शहीद श्री देव सुमन जी की पुण्यतिथि के अवसर पर चंबा में नगर पालिका परिषद के द्वारा मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ। कार्यक्रम अच्छा था, लेकिन सुमन जी के विचार और सिद्धांतों के अनुरूप नहीं था। कार्यक्रम में राजनीति ज्यादा परिलक्षित हो रही थी और जहां सुमन जी के सिद्धांत और बलिदान को  स्मरण करने की बात थी, वह पार्श्व में रही। मंच पर गणमान्य व्यक्तियों के अलावा क्षेत्रीय विधायक डॉक्टर धन सिंह नेगी, पालिका अध्यक्ष श्रीमती सुमन रमोला तथा पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष श्री पीयूष उनियाल मौजूद थे।

सुमन जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर सम्यक चर्चा हुई। उनके सिद्धांतों तथा उनके बलिदान को याद किया गया।

श्री देव सुमन जी के बलिदान पर चर्चा अधूरी रही। केवल एक रस्म अदायगी थी- मूर्ति का अनावरण।  जनप्रतिनिधियों के द्वारा कराए गए कार्यों का अधिक उल्लेख था।

कार्यक्रम के उपरांत अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात पर्यावरणविद भाई विजय जड़धारी जी के सुझाव पर श्री देव सुमन व्याख्यानमाला आयोजित की गई। व्याख्यानमाला में वरिष्ठ पत्रकार शशि भूषण भट्ट, पत्रकार रघुभाई जडधारी,  भूतपूर्व सैनिक संगठन के संरक्षक इंद्र सिंह नेगी, वन विभाग से रिटायर्ड  प्रेम दत्त थपलियाल, सभासद शक्ति जोशी, डिजीटल न्यूज़ के संपादक सुभाष सकलानी आदि मौजूद रहे। सुमन जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर सम्यक चर्चा हुई। उनके सिद्धांतों तथा उनके बलिदान को याद किया गया। “सुमन सौरभ” उनकी काव्य कृति पर मंथन हुआ। स्वरचित कविताओं के द्वारा कार्यक्रम को रोचक बनाने का प्रयास किया गया। साथ ही “सुमन जी कितने प्रसांगिक वर्तमान दौर में” इस पर भी चर्चा हुई।

श्री देव सुमन व्याख्यानमाला आयोजित की गई।

पर्यावरणविद विजय जड़धारी  ने जंगली जानवरों से द्वारा होने वाली हानि के बारे में चर्चा की। बीज बचाओ आंदोलन तथा अनेक सम-सामयिक मुद्दों पर चर्चा की गई। रघुभाई जड़धारी के द्वारा “सुमन जी के सिद्धांत” पर संगोष्ठी में वार्ता की गई और उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया गया। इंद्र सिंह नेगी ने  सुमन जी को नमन करते हुए, उनके आदर्शों पर चर्चा की।

वरिष्ठ पत्रकार  शशि भूषण भट्ट ने “वर्तमान परिस्थितियों में सुमन जी के प्रेरणा” विषय पर बातचीत की तथा  सुभाष सकलानी ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, महान बलिदानियों, तथा समाज के प्रति उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को नमन करते हुए अपनी बात रखी। कुल मिलाकर तीन घंटे तक चली यह परिचर्चा एक निष्कर्ष पर आई और एक ऐसा सामाजिक मंच बनाने की बात सामने आई, जो राजनीति से बिल्कुल हटकर हो और समसामयिक मुद्दों को,  समय के अनुकूल जाने और विषय के अनुरूप बनाने की बात की गई। समाज को  नई दिशा व प्रेरणा देने की गोष्ठी में बाते हुई।

इसके बाद डेढ़ घंटे का कार्यक्रम ग्यारह गांव हिंदाऊ फेसबुक पेज पर आयोजित हुआ। जिसमें  मुझे एक सप्ताह पहले आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रमों में विद्वान प्रधानाचार्य हर्षमणि बहुगुणा, प्रधानाचार्य कलीराम चमोली, विद्वान शिक्षक  विजय रतूड़ी, संचालिका  विजय लक्ष्मी डंगवाल डबराल तथा होस्ट  विनोद अग्रवाल के साथ मुझे भी आमंत्रित किया गया था। अनेक कविताओं के साथ-साथ प्रजामंडल सुमन जी का जन्म, शिक्षा, समाज सुधार, उनके बलिदान और उसके बाद की प्रतिक्रिया पर विचार विमर्श किया गया। दर्शकों ने काफी सराहना भी की। ग्यारह गांव हिंदाऊ फेसबुक पेज पर इस लाइव परिचर्चा को आप देख सकते हैं। एक बार पुनः श्री देव सुमन जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन।