मकर संक्रांति का पर्व: जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण होते हैं तब इस त्यौहार को मनाया जाता है

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मकरसंक्रमे परा: षोडशघटिका: पुण्या:, त्रिशत्कर्कटके पूर्वा मकरे विशति: परा

जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और सूर्य उत्तरायण होते हैं तब इस त्यौहार को मकर संक्रान्ति के रुप में मनाया जाता है।

[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]ईo/पंo सुन्दर लाल उनियाल (मैथिल ब्राह्मण)[/su_highlight]

लेकिन इस बार सूर्य के मकर राशि में गोचर का समय कुछ पंचागों में अलग अलग दर्शाये जाने क़े कारण भ्रम की ‘स्थिति बन गयी है। वैसे १४ या १५ दोनो ही दिन स्नान, दान के मुहूर्त है *फिर भी चूँकि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश आज १४ तारीख को सूर्यास्त से पहले ही हो रहा है इसलिये मकर संक्रान्ति* का त्यौहार आज भी मना सकते है।

*भक्तिर्देवे मतिर्धर्मे शक्तिस्त्यागे रतिः श्रुतौ*
*दया सर्वेषु भूतेषु स्यान्मे जन्मनि जन्मनि*

हे परमात्मा! (हम सबकी) प्रत्येक जन्म में परमात्मा में भक्ति हो, धर्म में ही मति हो, त्याग (दान) देने की शक्ति हो, वेदादिक शास्त्रों के प्रति प्रेम हो और सभी प्राणियों के प्रति सदैव दया की भावना हो।

*उत्तरायण का सूर्य आप तथा आपके सम्पूर्ण परिवार को आपके द्वारा संजोये गये स्वप्नों की नयी ऊष्मा प्रदान करे, आपके यश एवं कीर्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हो।*

आज के दिन से भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते हैं, उत्तरायण में सूर्य रहने के समय को शुभ समय माना जाता है और इस समय सभी मांगालिक कार्य आसानी से किये जाते हैं।

चूंकि पृथ्वी दो गोलार्धों में बंटी हुई हैं ऐसे में जब सूर्य का झुकाव दक्षिणी गोलार्ध की ओर होता हैं तो इस स्थिती को दक्षिणायन कहते हैं और जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर झुके होते हैं तो सूर्य की इस स्थिति को उत्तरायण कहते हैं।

*इस त्यौहार पर तिल समान हम सभी के मन स्नेहमय हों, गुड़ समान हमारी वाणी व शब्दों में मिठास हो और जैसे लड्डू में तिल व गुड़ की घनिष्ठता व प्रेम है वैसे हम सबके मध्य प्रगाढ़ व प्रेम सम्बन्ध हों, भगवान सूर्यदेव हम सब पर ऐसी कृपा करें।*

आप परिजनों सहित सदैव सुखी, स्वस्थ, समृद्ध एवं निरोगी रहकर सूर्य की भाँति अपने प्रकाश से सभी को आलोकित करते रहें, आप दीर्घायु हों, देवश्री के श्रीचरणों से प्रतिपल यही कामना व प्रार्थना करते है।

*मकर संक्रांति का यह पावन त्यौहार आपके और आपके परिवार के जीवन में नित नयी ढेरों खुशियां लेकर आए और आप सबका सदा-सदा मंगल हो।*

मकर संक्रान्ति के पावन पर्व की आप तथा आपके परिवार को हम सबकी ओर से बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ।

[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]आचार्य हर्षमणि बहुगुणा[/su_highlight]

*माघ माह का प्रारम्भ आज से, मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने से इस मास को माघ मास कहते हैं। इस महीने को धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने तभी तो लिखा है कि —

*माघ मकर गत रवि जब होई।*
*तीरथपतिहिं आव सब कोई।।

*पद्म पुराण में कहा गया है कि– व्रत, दान और तपस्या से भगवान को उतनी प्रसन्नता नहीं होती जितनी माघ मास में स्नान से होती है।

माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्त पापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।

*इस महीने की पूर्णिमा को ब्रह्मवैवर्तक पुराण का दान करना चाहिए। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना ‘मकर संक्रांति’ कहलाता है।

इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। शास्त्रों में देवताओं का दिन उत्तरायण और दक्षिणायन रात को माना गया है। तो कहा जा सकता है मकर संक्रांति देवताओं का प्रभात काल है, अनेक मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि आज घी और कम्बल के दान का विशेष महत्व है। गङ्गा स्नान तथा गङ्गा तट पर दान विशेष रूप से प्रशंसनीय है।

समूचे भारत में यह दिन अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है उत्तरी भारत के उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में इस दिन को ‘खिचड़ी’ संक्रान्ति व दिन के रूप में मनाते हैं। खिचड़ी खाना व खिचड़ी एवं तिल का दान करना अधिक महत्वपूर्ण है। राजस्थान में सौभाग्यवती स्त्रियां चौदह वस्तुओं का दान करती हैं व तिल के लड्डू , घेवर तथा मोती चूर के लड्डू अपनी ‘सास’ को देती हैं। पंजाब और जम्मू-कश्मीर में लोहड़ी के रूप में, तो दक्षिण भारत में ‘पोंगल’ के रूप में मनाते हैं।

महाराष्ट्र में विवाहिता स्त्रियां पहली संक्रांति को तेल, कपास व नमक आदि की वस्तुएं सौभाग्यवती स्त्रियों को भेंट करती हैं। यहां ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन से सूर्य की गति तिल- तिल कर बढ़ती है अतः आज तिल के अनेक मिष्ठान्न बना कर सबको वितरित किए जाते हैं। गुजरात में भी इसी तरह यह पर्व मनाया जाता है। बंगाल में आज के दिन तिल दान का विशेष महत्व माना व कहा जाता है। असम में इसे बिहू के नाम से जाना जाता है। सूर्य भगवान को एक राशि से दूसरी राशि में होने वाले परिवर्तन को अन्धकार से प्रकाश की ओर होने वाला परिवर्तन माना जाता है। सूर्य ऊर्जा का अजस्र स्रोत है, सूर्य के अधिक देर रहने से प्राणियों में चेतना की वृद्धि होती है। अतः भारतीय संस्कृति इस माह को आध्यात्मिक उन्नति का मास मान कर अधिक धार्मिक मास मानती है।

आज स्नान कर तिलों से होम, तिल युक्त वस्तुओं का दान, पंचदेवों की पूजा, पुरुष सूक्त, सूर्याष्टक स्त्रोत्र पाठ, ब्राह्मण भोजन, धार्मिक पुस्तकों का दान आदि करना चाहिए। आज चौदह जनवरी को दोपहर एक बजकर सोलह मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

इसका पुण्य काल सूर्योदय से ही प्रारम्भ हो जाएगा। समझा जा सकता है कि आज प्रातः काल सूर्योदय के बाद जन्मे जातकों का सूर्य मकर राशि का ही लिखा जाएगा। अतः किसी भी भ्रम में न रहें। गङ्गा आदि पुण्य नदियों में स्नान करें, यदि वे सुलभ न हों तो कहीं भी स्नान किया जा सकता है। ‌आज की संक्रांति शुक्रवार को है अतः मिश्रा, तथा रोहिणी नक्षत्र से नन्दा नामक है, अतः ब्राह्मणों, पशुओं एवं शिक्षित वर्ग के लिए लाभकारी होगी। श्रद्धा पूर्वक हरि स्मरण कर इस मंत्र को अवश्य बोलें।

*गङ्गे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
*नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन् संनिधं कुरु ।।

*आज के दिन सुजन्म द्वादशी भी है। मानव अपना कल्याण स्वयं कर सकता है। शास्त्र हमारा मार्गदर्शन करते हैं और उनके द्वारा बताए मार्ग पर चलना मानव का उद्देश्य होना अपेक्षित है। हम सभी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह हमारा मार्ग प्रशस्त करेंगे।

एक बार आप सबको मकर संक्रांति की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं करते हुए मधुमय प्रभात की कामना करता हूं। जयतु भारतम्, जयति भारतीय संस्कृति।