सरहद का साक्षी: हर्ष मणि बहुगुणा,
२५ मई सन् १९१६ को चम्बा जौल गांव में पं० हरि दत्त बडोनी जी के यहां अवतरित श्री श्रीदेव सुमन बहुमुखी प्रतिभा के धनी युवक थे । चौदह वर्ष की अवस्था में सन् १९३० में नमक सत्याग्रह में भाग लिया । सन् १९३६ में दिल्ली में “गढ़ देश सेवा संघ ” की स्थापना हुई व उसके सक्रिय कार्यकर्ता बने । सन् १९३९ में देहरादून में ‘टिहरी राज्य प्रजा मण्डल ‘ की स्थापना के बाद सक्रिय कार्यकर्ता, १९४२ अप्रैल में गिरफ्तार कर हतोत्साहित करने के लिए कई बार गिरफ्तार व रिहा किया गया।
अन्तिम जेल यात्रा ३० दिसंबर सन् १९४३ को हुई, पाशविक अत्याचार किए गए, पैंतीस सेर की बेड़ियों से पैर जकड़ दिए , तीन मई सन् १९४४ से आमरण अनशन ८४ दिन तक चला चला व २५ जुलाई को सायं चार बजे आपका शरीर शान्त हो गया , मरने के बाद भी उनके शरीर को भिलंगना में बोरे में बंद कर बहा दिया ।
ऐसी विभूति को उनके जन्मदिन पर मेरे और “सरहद का साक्षी” परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि के साथ कोटि-कोटि नमन व श्रद्धासुमन सादर समर्पित।