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उन्होंने कहा कि 2 अक्तूबर उत्तराखंड राज्य आंदोलन का एक अति संवेदनशील दिन है। उत्तराखंडियों के लिये क्षोभ और दुःख का भी दिन है। रामपुर तिराहे और मुज़फ्फरनगर की घटनायें आपको याद होंगी। नारी शक्ति का अपमान और उनकी इज्जत सरकार ने कैसे तार-तार की, उत्तराखंडी कैसे सरकारी हिंसा के सरकार हुये, नयी पीढ़ी को अवगत कराना भी आवश्यक है।
1994 में जिन बच्चों ने जन्म लिया, आज वे स्वयं देश के ज़िम्मेदार होनहार हैं। जिस भावना से राज्य आंदोलन हुआ, क्या हम उसकी रक्षा कर पा रहे हैं? हमने अपने जल, जंगल और ज़मीं पर अपने हक़ और अधिकार क्यों छोड़ दिये? मण्डल कमीशन के मानक़ों पर खरा उतरने के बावजूद हमें OBC का दर्जा और सुविधायें क्यों नहीं मिल रही हैं। इन सब पर विचार करने के लिये गाँधी जयन्ती सबसे उपयुक्त दिवस है।राज्य आंदोलन के दौरान राज्य के जनक इन्द्र मणि बड़ोनीजी को 21वीं सदी का गाँधी, अमेरिका ने कहा था।
आह्वान किया कि 2 अक्तूबर को एक घण्टे का समय निकाल कर अपने वनाधिकारों और उत्तराखंडियों को OBC में सम्मिलित करने के लिये गाँधीजी की मूर्ति पर या उपयुक्त स्थान पर गाँधी जी के प्रिय भजन- “रघुपति राघव राजा राम…” से उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों और गाँधी जी को श्रद्धांजलि दें और अपने हक़ लेने हेतु संकल्प लें। यह संकल्प अपने पित्रों को उपयुक्त तर्पण होगा और उनके आशीर्वाद से आने वाली पीढ़ी का उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।