मानवता का विशिष्ट सन्देश: Mutaz Essa Barshim ने स्वर्ण पदक साझा करके मानवीय तौर पर खेलजगत में अपना नाम अमर किया

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मानवता का विशिष्ट सन्देश: Mutaz Essa Barshim ने स्वर्ण पदक साझा करके मानवीय तौर पर खेलजगत में अपना नाम अमर किया
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जीवन एक रंग मंच है जिसमें अनेक खेल होते रहते हैं और हार जीत का क्रम लगा रहता है। अधिकांश ऐसा भी होता है कि हम गम्भीर प्रयास और निरन्तर परिश्रम के बाद भी विजयश्री सुनिश्चित नहीं हो सकती है।

सरहद का साक्षी @ आचार्य हर्षमणि बहुगुणा  

जय विजय का यह सिलसिला कभी रुकता ही नहीं है इस संसार में कभी कभार ऐसी घटनाएं घटित हो जाती है मानव के कद को बहुत अधिक ऊंचा उठा देती हैं और मानवता की मिसाल कायम कर देती हैं।

यह घटना नहीं अपितु एक मिसाल है जब Tokyo Olympics में पुरुषों की ऊंची कूद के फाइनल का मैच हो रहा था और इटली के Gianmarco Tamberi का मुकाबला कतर के Mutaz Essa Barshim से था। दोनों प्रतिस्पर्धियों ने 2/37 मीटर की छलांग लगाई और बराबरी पर रहे। ओलम्पिक अधिकारियों ने नियमानुसार उन्हें तीन तीन अतिरिक्त प्रयास के अवसर दिए, फिर भी वे दोनों 2/37 मीटर से अधिक ऊंचाई की ही छलांग लगा पाए। इसके बाद भी उन्हें एक और प्रयास करने का मौका दिया गया, परन्तु Gianmarco Tamberi के पैर में दर्द के कारण उसने स्वयं को आखिरी प्रयास से मना कर दिया।

उस समय Mutaz Essa Barshim के सामने दूसरा प्रतिद्वन्दी नहीं था तब वह सरलता से स्वर्ण पदक विजेता बन सकता था। परन्तु Mutaz Essa Barshim ने ओलम्पिक अधिकारी से पूछा, “महोदय यदि मैं भी अन्तिम प्रयास से हट जाऊं तो क्या स्वर्ण पदक हम दोनों को बांटा जा सकता है? “जांच के बाद अधिकारी ने कहा- “हां स्वर्ण पदक आप दोनों के बीच सांझा किया जा सकता है। Mutaz Essa Barshim ने बिना समय गंवाए अन्तिम प्रयास से हटने की घोषणा की, यह देख कर इटली का प्रतिद्वंद्वी दौड़ कर आया और Mutaz Essa Barshim को गले लगाकर बहुत जोर-जोर से रोने लगा।

Mutaz Essa Barshim ने भले ही स्वर्ण पदक सांझा किया पर मानवता के तौर पर वह बहुत आगे निकल गया और खेलजगत में अपना नाम अमर कर लिया। आज तथा कथित मानव स्वल्प हित के लिए पद पाकर या धन लोलुपता के कारण अन्याय के पथ पर आगे बढ़ता है। क्या कुछ साथ जाएगा? यह भी चिंतनीय है।

यह दृष्टांत हर मानव के दिल को छूने वाला है अद्भुत खेल भावना जो धर्म, रंग, सीमा और देश तक को भी बौना बना देता है, सौहार्द और आपसी साहचर्य मानवता की कसौटी है। सहिष्णुता आवश्यक है, वही किया Mutaz Essa Barshim ने, जबकि आज आगे बढ़ने के लिए दूसरे खिलाड़ी को गिराया जाता है, यह देखा जा सकता है। Gianmarco Tamberi श्वेत और Mutaz Essa Barshim अश्वेत! लेकिन Mutaz Essa barshim (बर्शिम ) ने उत्कृष्ट व्यवहार ने सम्पूर्ण मानवता को मानवीयता का संदेश अति विशिष्ट तरीके से दिया, इसे देख कर समूची दुनिया हैरान रह गई। क्या आज इस तरह के उदाहरण मिल सकेंगे? शायद?