श्रीमद्भागवत कथा: भगवान कृष्ण के खड़ाऊ और कालिया नाग पहाड़ में नागराजा भगवान के रूप में अवस्थित, गौ माता के कंठ में शिव का वास : आचार्य सीता शरण

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श्रीमद्भागवत ज्ञान कथा यज्ञ के छठवें दिन चंबा प्रखंड के ग्राम- बड़ा स्यूटा मे व्यासपीठ से आचार्य सीता शरण जी के मुख से अनेकों कथाएं श्रोताओं ने सुनी।

सरहद का साक्षी@कवि:सोमवारी लाल सकलानी, निशांत

आयोजक श्री हुकम सिंह पुंडीर, श्री दिगंबर सिंह पुंडीर और श्री धीरज सिंह पुंडीर द्वारा अपनी माता जी के वार्षिक श्राद्ध और पितरों की आत्मा की शांति के लिए यह ज्ञान यज्ञ कराया जा रहा है जो 19 अप्रैल 2022 से चल रहा है। यशस्वी गौ- गंगा बचाओ अभियान के आचार्य गोपालमणि महाराज के सुपुत्र श्री सीताशरण जी व्यास पीठ पर विराजमान हैं। श्रीमद् भागवत महापुराण के अलावा हिंदू धर्म के आदर्शों, गौ- गंगा और बेटियों के महत्व पर भी रोचक कथाएं सुना रहे हैं। संगीतमय भागवत् महापुराण ज्ञान यज्ञ में स्थानीय लोगों के अलावा चंबा शहर के सैकड़ों व्यक्ति सम्मिलित हो रहे हैं और कथा श्रवण कर रहे हैं। आयोजकों के द्वारा प्रतिदिन भोज का आयोजन भी किया जा रहा है। प्रतिदिन  मूल पाठ के पश्चात अपराह्न1:00 से 5:30 तक चलने वाली यह कथा महा पितृभोज (भंडारे) के साथ आज संपन्न  होगी।

आज के कथा में व्यास जी ने भगवान कृष्ण के बारे में अनेक रोचक प्रसंग श्रोताओं को सुनांए। साथ ही कृष्ण की बांसुरी, कृष्ण जन्मभूमि गोकुल- वृंदावन आदि के बारे में भी चर्चाएं की। साथ ही अपने लोक भाषा गढ़वाली में अनेकों कीर्तन भी करवाए।

भगवान कृष्ण के प्रसंग में उन्होंने कहा जब श्री कृष्ण गेंद के बहाने यमुना नदी में कूद पड़े तो कृष्ण के आकर्षक मुख के कारण नाग पत्नियों का जहर मिट गया। कालिया नाग के फन के ऊपर कृष्ण द्वारा किया गया नृत्य आदि की कथा और विवेचना ही भी प्रस्तुत की। कहा कि एक बार कम जहरीला व्यक्ति भी यदि कथा में आ जाए तो उसका जहर उतर जाता है। अनेकों दार्शनिक बातें भी उन्होंने श्रोताओं के साथ साझा की।

श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के साथ ही व्यास जी का मुख्य फोकस गोवंश संरक्षण, गंगा स्वच्छता अभियान, सनातन धर्म के आदर्शों को बरकरार रखना और अपनी धर्म- संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखना भी है।

आज लगभग 500 व्यक्तियों ने कथा का श्रवण किया और प्रसाद के रूप में भोजन  ग्रहण किया। ग्राम वासियों के अलावा अन्य गांवों से थी माताएं, बहनें, कथा -प्रेमी मौजूद थे। वयोवृद्ध पूर्व शिक्षक श्री कुशाल सिंह पुंडीर, आईजी राजेंद्र सिंह पुंडीर, कैप्टन सोबन सिंह बिष्ट, निरंजन सिंह चौहान, वाईपीएस पुंडीर, प्रताप गुसाईं, सोभन सिंह रावत, मारकंडे्य बडोनी, अजय पुंडीर, रामचंद्र नेगी, महेश उनियाल, प्यार सिंह नेगी, कमल सिंह पुंडीर, भारती जी, आचार्य मीनाक्षी कोठारी, सत्य प्रकाश बहुगुणा,अनुपमा उनियाल, गुरुप्रसाद लखेड़ा आदि ने कथा श्रवण किया।