श्री गाँधी शास्त्री जयंती विशेष: असली रामधुन क्या है और महाभारत का एक श्लोक अधूरा क्यों पढ़ा जाता है …?

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Gandhi jayanti
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[su_highlight background=”#880930″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @ आचार्य हर्षमणि बहुगुणा[/su_highlight]
आज दो अक्टूबर है, आज महात्मा गांधी जी  एवं लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती है। आज से एक सौ बावन वर्ष पहले 1869 को गांधी जी का जन्म हुआ था, गांधी जी एवं शास्त्री जी को युग पुरुष कहा जा सकता है, इसमेंं अलग-अलग धारणाएं हो सकती हैं, पर एक बात तो स्वीकार की जा सकती है कि चाहे किसी भी रूप में हो पर आजादी मिली है। न जाने किस-किस ने अपने स्वार्थ सिद्ध किए, यह अलग पहलू है। इसी कारण आज के दिवस को राष्ट्रीय पर्व का दिन माना गया है।

व्यक्तिगत रूप से आज का दिन मेरे लिए भी अविस्मरणीय बना। उसका कारण था मेरे दांत का दर्द, बात सन्1982की है, तब मैं उत्तरकाशी में था। दांत का दर्द असहनीय था अतः मुझे जिला अस्पताल में जाना पड़ा, वहां डाक्टर ऋषि रंजन सुयोग्य डाक्टर थे। उन्होंने उपचार किया, तब न मोबाइल फोन की सुविधा थी, न घर पर ही फोन थे। पर अस्पताल में डॉक्टर साहब का एक स्पीकर (डैक) था और उस पर बहुत मीठी आवाज में गांधी जयंती के दिन राम धुन बज रही थी, और कब मेरा दांत निकला पता ही नहीं चल पाया, शायद “राम धुन” के कारण! पर राम धुन गांधी जी की बनाई न हो कर मूल ‘राम धुन’ थी जो पण्डित लक्ष्मणाचार्य जी द्वारा विरचित थी, उस समय मुझे कुछ असमंजस की स्थिति हुई पर इससे मेरा सामान्य ज्ञान भी सुधरा, बहुत खोजबीन के बाद मेरे मित्रों ने मेरा सहयोग किया।

क्यों न आज के इस पावन पर्व पर “अहिंसा और मूल ‘राम धुन'” को जिसे सभी के साथ साझा कर रहा हूं, अतः इस जानकारी से सभी लाभान्वित होंगे। मात्र जानकारी हेतु है ..

महाभारत का एक श्लोक अधूरा पढ़ा जाता है क्यों ?*
*शायद गांधी जी की वजह से ! ..
*”अहिंसा परमो धर्मः”*
*जबकि पूर्ण श्लोक इस तरह से है:-
*”अहिंसा परमो धर्मः,
*धर्म हिंसा तदैव च l* “
*अर्थात् – अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है.. किन्तु धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है।
*गांधीजी ने सिर्फ इस श्लोक को ही नहीं बल्कि उसके अलावा उन्होंने एक प्रसिद्ध भजन को भी बदल दिया…
*”रघुपति राघव राजा राम”*
इस प्रसिद्ध-भजन का नाम है-
 राम – धुन 
*जो कि बेहद लोकप्रिय भजन था .. गाँधी जी ने इसमें परिवर्तन करते हुए “अल्लाह” शब्द जोड़ दिया।

*गाँधीजी द्वारा किया गया परिवर्तन और असली भजन*
” *महात्मा गाँधी का भजन* ” 
*रघुपति राघव राजाराम,*
*पतित पावन सीताराम*।
*ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,*
*सब को सन्मति दे भगवान…* ।

*जबकि असली राम धुन भजन…
*”रघुपति राघव राजाराम*
*पतित पावन सीताराम*
*सुंदर विग्रह मेघाश्याम*
*गंगा तुलसी शालीग्राम*
*भद्रगिरीश्वर सीताराम*
*भगत-जनप्रिय सीताराम*
*जानकीरमणा सीताराम*
*जय जय राघव सीताराम”*

*बड़े-बड़े पंडित तथा वक्ता भी इस भजन को गलत गाते हैं, प्रचलन के कारण, यहां तक कि मंदिरों में उन्हें रोके कौन?*
*’श्रीराम को सुमिरन’ करने के लिए इस भजन को जिन्होंने बनाया था उनका नाम था “पंडित लक्ष्मणाचार्य जी” का यह भजन — ” श्री नमः रामनयनम” नामक हिन्दू-ग्रन्थ से लिया गया है।

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