श्री सुरकंडा रोपवे कविता: उड़ा, बैठ उड़नखटोला पर…!

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मृत्यु लोक का भौतिक प्राणी!
   @कवि:सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत’

उड़ा! बैठ उड़नखटोला पर मै,
       चला दिव्य सुरकुट ओर।
मृत्यु लोक का भौतिक प्राणी,
       पंंहुचा अब स्वर्ग के छोर!

बे-तारों पर टंग कर तन डोले,
            पंंहुचा तारों के धोर।
देखी  दुनिया घाट- बाट- तल,
         मजदूर दिवस का शोर।

मिल गये धामी धाम सुरकंडा,
          मंत्री महाराज के धोर।
उड़ा जहां से वहीं फिर पंहुचा,
          चला पाताल की ओर।

तीर्थाटन : सैर सपाटा- पर्यटन,
              सांय काल भी भोर।
उड़न खटोला  डोले पर्वत पर,
            धन पर सबका जोर।

मृत्युलोक पाताली नश्वर प्राणी,
              उड़ा स्वर्ग की ओर।
मेरे प्रिय सुरकुट पर्वत चोंटी पर,
                उमड़े घन घनघोर।