श्राद्ध में दिल खोलकर कीजिए खरीदारी, नहीं है मनाही

96
श्राद्ध/पितृ पक्ष पर विशेष आलेख: क्यों आवश्यक है श्राद्ध?
यहाँ क्लिक कर पोस्ट सुनें

श्राद्ध में दिल खोलकर कीजिए खरीदारी, नहीं है मनाही

हम सभी जानते हैं कि इन दिनों पितृ पक्ष यानी श्राद्ध चल रहा है और यह 17 सितंबर तक रहेगा। श्राद्ध के दौरान हम लोग शुभ कार्यों को निषेध मानते हैं पर विद्वानों की मानें तो पितरों का दर्जा देव कोटि में आता है। उन्हें विवाह समेत सभी शुभ कार्यों में आमंत्रित किया जाता है। श्राद्ध पक्ष में हम अपने पितरों को याद करते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ उनका तर्पण करते हैं और उनसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

धर्म ग्रंथों की मानें तो अधिक मास में जप, तप, व्रत और दान अक्षय फल देने वाले होते हैं और इनका पुण्य कभी खत्म नहीं होता है।

ऐसे में हमें इतनी खरीदारी और अच्छे काम करने चाहिए कि हमारे पितृ भी हमारे सद् कार्यों एवं समृद्धि को देखकर खुश हो जाएं। इस दौरान संपत्ति, मोटर साइकिल, मोबाइल, भूमिया कुछ और सामान खरीदने से उसकी आत्मा निश्चित रूप से तृप्त होगी। इस साल पितृ पक्ष खत्म होने के बाद एक अधिक मास भी पड रहा है जिसकी शुरूआत 18 सितंबर से हो रही है। अधिक मास हर तीन साल में एक बार आता है। लेकिन 19 सालों बाद ऐसा संयोग बना है कि इस बार अधिक मास आश्विन में पड रहा है।

रिपोर्ट: हेमप्रकाश, देहरादून

अधिक मास में हम यूं तो विष्णु और कृष्ण की पूजा करते हैं लेकिन इस बार इसके आश्विन मास में होने के कारण माता लक्ष्मी की कृपा भी आप पर बरसेगी। कहा जाता है कि आश्विन मास की पूर्णिमा जिसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं, के दिन माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करने आती हैं। धर्म ग्रंथों की मानें तो अधिक मास में जप, तप, व्रत और दान अक्षय फल देने वाले होते हैं और इनका पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। इस महीने में सोने-चांदी से लेकर मशीन, वाहन खरीदने के कई शुभ योग बन रहे हैं।

अधिक मास के दूसरे दिन 19 सितंबर को द्वि पुष्कर योग है। 20 को स्वाति नक्षत्र और 21 को विशाखा नक्षत्र आयेगा। 26 को सर्वार्थ सिद्ध योग और 27 सितंबर को कमला एकादशी है। यह मातालक्ष्मी का दिन होने के साथ ही विष्णु को भी अतिप्रिय है। यानी अधिक मास के दौरान कई शुभ योग आयेंगे जिस दौरान आप खरीदारी कर सकते हैं। धर्म ग्रंथों में अधिक मास को ब्याज का समय कहा गया है। यह साल के 12 महीनों के अतिरिक्त मिला समय होता है।

तो फिर अपने मन से अंधविश्वास के अंधेरे को बाहर निकाल फेंके और रौशनी की नई किरण का संचार करें। श्राद्ध काल हो या अधिक मास, अपने पितरों को अपनी संपन्नता, समृद्धि के बारे में बताने और उनकी आत्मा को तृप्त करने के लिए दिल खोलकर खरीदारी कीजिए और उनके साथ-साथ अपने परिवार वालों को भी खुश कीजिए।