क्यों हमें बार-बार “ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय” — ॐ नमः शिवाय; बोलना चाहिए?
ॐ नमः शिवाय सिर्फ एक मन्त्र नहीं, हमारी उत्पत्ति है…। यह हमारे जीवन को पहचान देता है…। ॐ हमारा निराकार रूप दर्शाता है…।
[su_highlight background=”#880e09″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी, आचार्य हर्षमणि बहुगुणा[/su_highlight]
जब शून्य था और कुछ नहीं था तब सबसे पहले ज्योति के साथ “ॐ” की ध्वनि उत्पन्न हुई थी यह दर्शाता है कि —
तुम ही ज्योति हो, तुम ही निराकार हो, तुम ही अनन्त हो…।
ॐ नमः शिवाय हमारे साकार रूप को दर्शाता है…। यह मन्त्र हमारे पांच तत्वों को प्रदर्शित करता है…।
न – पृथ्वी तत्व
म – जल तत्व
शि– अग्नि तत्व
वा – वायु तत्व
य – आकाश तत्व
नमः शिवाय दर्शाता है हमारे पंच महाभूतों से निर्मित शरीर को
अन्नमय कोष (न)
प्राणमय कोष (म)
मनोमयकोष (शि)
ज्ञानमयकोश (वा)
आंनन्दमयकोश (य)
ॐ नमः शिवाय हमें याद दिलाने के लिए है…।
कि हमें अब “ॐ” तक की अपनी यात्रा को पूर्ण करना है।
साकार से अपने निराकार रूप तक की..।
नर से नारायण तक की.. यात्रा को पूर्ण करना है।
ॐ नमः शिवाय के निरन्तर जप से हमारी तत्व शुद्धि होती है।
हमारे कर्म कटते हैं और हमारा मन पवित्र होता है…।
सभी को क्षमा करना, सभी को स्वीकार करना, सभी को निश्चल प्रेम देना। ॐ नमः शिवाय।