संकल्प कविता: दीप जलाएंगे…!

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    कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी से अमावस्या तक दीप जला दीपावली मनाने वालों के घर को मां लक्ष्मी कभी नहीं छोड़ती
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       पटाखे नहीं फोड़ेंगे, दीप जलाएंगे।

    एक भी पटाखा नहीं फोड़ूंगा,
    ना आतिशबाजी ही  देखूंगा।
    कर्णभेदी आवाजें नहीं सुनूंगा,
    बल्कि आनंद दीप जलाऊंगा।
                             संकल्प है-
    ध्वनि- वायु -जल- मृदा -प्रदूषण,
    उन्माद की बुराइयों से दूर रहूंगा।
    उल्लास का यह पर्व है दीपावली,
    घर आंगन स्वच्छ साफ ही रखूंगा।
                                संकल्प है-

    [su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @कवि : सोमवारी लाल सकलानी, निशांत[/su_highlight]

    बुराइयों का भी प्रतिकार  करूंगा,
    बचाव में बचाव है,बच कर रहूंगा।
    शराब -सट्टा- नशा जुआदि से दूर,
    आनंद से प्रकाशोत्सव मनाऊंगा।
                                संकल्प है-
    दुनिया है कहती है,कहती रहेगी,
    हम विवेकानंद दिवाली मनाएंगे।
    व्यसन- बुराई- नशा- पटाखों को,
    अपने घर गांव शहर नहीं लाएंगे।
                                  संकल्प है-
    एक नहीं तीन तीन दिवाली मनाएंगे,
    राज,ईगाश और मंगसीर महीने की,
    रीख बग्वाल भी धूमधाम से मनाएंगे,
    लेकिन एक भी पटाखा नहीं फोड़ेंगे।
                                       संकल्प है-
       (कवि कुटीर)
    सुमन कालोनी चंबा, टिहरी गढ़वाल।