पटाखे नहीं फोड़ेंगे, दीप जलाएंगे।
एक भी पटाखा नहीं फोड़ूंगा,
ना आतिशबाजी ही देखूंगा।
कर्णभेदी आवाजें नहीं सुनूंगा,
बल्कि आनंद दीप जलाऊंगा।
संकल्प है-
ध्वनि- वायु -जल- मृदा -प्रदूषण,
उन्माद की बुराइयों से दूर रहूंगा।
उल्लास का यह पर्व है दीपावली,
घर आंगन स्वच्छ साफ ही रखूंगा।
संकल्प है-
[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @कवि : सोमवारी लाल सकलानी, निशांत[/su_highlight]
बुराइयों का भी प्रतिकार करूंगा,
बचाव में बचाव है,बच कर रहूंगा।
शराब -सट्टा- नशा जुआदि से दूर,
आनंद से प्रकाशोत्सव मनाऊंगा।
संकल्प है-
दुनिया है कहती है,कहती रहेगी,
हम विवेकानंद दिवाली मनाएंगे।
व्यसन- बुराई- नशा- पटाखों को,
अपने घर गांव शहर नहीं लाएंगे।
संकल्प है-
एक नहीं तीन तीन दिवाली मनाएंगे,
राज,ईगाश और मंगसीर महीने की,
रीख बग्वाल भी धूमधाम से मनाएंगे,
लेकिन एक भी पटाखा नहीं फोड़ेंगे।
संकल्प है-
(कवि कुटीर)
सुमन कालोनी चंबा, टिहरी गढ़वाल।