लोक कला और संस्कृति को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है ग्रामीण समाज

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लोक कला और संस्कृति को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है ग्रामीण समाज
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हमारी लोक परम्परा आज भी  जीवित है

हमारा ग्रामीण समाज आज भी लोक कला और संस्कृति को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। शहरों की चकाचौंध से दूर परस्पर सहयोग के द्वारा समस्त सामाजिक गतिविधियां संपन्न होती हैं। आज भी रसोया के द्वारा बनाया हुआ भात-दाल और औजी के द्वारा बजाया हुआ ढोल-दमौं तथा मसक बीन मंगल का प्रतीक माना जाता है। यह स्वरोजगार का एक परंपरागत साधन भी है।

सरहद का साक्षी @कवि:सोमवारी लाल सकलानी, निशांत

पर्वतीय समाज में पंडित, रसोया (सरोला) और औजी का भरपूर सम्मान किया जाता है

कुछ अपवादों को छोड़कर, आज भी हमारे पर्वतीय समाज में पंडित, रसोया (सरोला) और औजी का भरपूर सम्मान किया जाता है। सबसे पहले के ढोल को पिठांई लगती है। रसोई की पूजा होती है तथा सभी मांगलिक काम कार्य पुरोहित के द्वारा संपन्न कराए जाते हैं। यह हमारे लोक समाज की पहचान है।

पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषकर ग्रामीण इलाकों में आज भी परंपराओं को ध्यान में रखा जाता है।पारस्परिक सहयोग के द्वारा प्रत्येक कार्य और अनुष्ठान को संपन्न किया जाता है।कार्य करने के लिए मेहनत तो करनी ही पड़ती है और पेशेवर लोगों जैसे पंडित, रसोया और औजी को उचित पारिश्रमिक भी दिया जाता है।

मेहनत कार्य सफलता की कुंजी है

मेहनत तो कार्य की सफलता की कुंजी है चाहे वह सीमा पर जवान हो, चाहे ब्लैक बोर्ड पर खड़ा पढ़ाता हुआ अध्यापक या बिजली के तारों पर झूलता हुआ विद्युत विभाग का श्रमिक, या गर्मी के सीजन में सड़क पर कोलतार बिछाता हुआ मजदूर, या खान में काम करने वाले लोग, या अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले अंतरिक्ष यात्री। ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसमें परिश्रम न करना पड़ता है।

बुद्धिजीवी का आशय समाज में जीने वाले और अनुभव रखने वाले लोगों में से हैं

कुछ लोग अपने जातीय अहंकार या जातीय हीनभावना के कारण माहौल को बिगाड़ भी देते हैं लेकिन समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के लोग समाज में समरसता का माहौल बनाए रखने में समय-समय पर प्रयास करते रहते हैं। बुद्धिजीवी का आशय पढ़े- लिखे लोगों से नहीं है। समाज में जीने वाले और अनुभव रखने वाले लोगों में से हैं। जिनमें अभूतपूर्व निर्णय लेने की क्षमता होती है। जिनकी बातों को समाज का प्रत्येक वर्ग मानता है और इसी में हमारे लोग समाज का मोक्ष छुपा हुआ है।