प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी को भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव ने ‘फिल्म पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर’ पुरस्कार से नवाजा

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प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी को भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव ने 'फिल्म पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर' पुरस्कार से नवाजा
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“एक आसमान कम पड़ता है, और आसमान मांगवा दो…” पंक्तियां कहते हुए प्रसिद्ध गीतकार और रचनाधर्मी लेखक प्रसून जोशी ने गोवा में 52वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के समापन समारोह में ‘इंडियन फिल्म पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर’ पुरस्कार प्राप्त किया।

[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी, नई दिल्ली [/su_highlight]

उन्हें यह पुरस्कार सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने सिनेमा, लोकप्रिय संस्कृति और कलात्मक सामाजिक कार्यों में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रदान किया।

भारत की अद्भुत विविधता को रेखांकित करते हुए जोशी ने कहा कि यदि सभी वर्गों के लिए अपनी अपनी कहानियों को सुनाने का कोई मंच नहीं होगा तो देश की समृद्ध विविधता उनके सिनेमा में नहीं दिखाई देगी। उन्होंने 75 क्रिएटिव माइंड्स पहल के माध्यम से इस वर्ष ऐसा मंच प्रदान करने के प्रयास के लिए फ़िल्म समारोह की सराहना की।

फिल्मों में अपने भावपूर्ण और प्रेरक गीतों, अद्वितीय टीवी विज्ञापनों और सामाजिक रूप से प्रासंगिक कहानियों के लिए व्यापक रूप से पहचाने जाने वाले, पद्मश्री अलंकरण और कई अन्य राष्ट्रीय पुरस्कारों के विजेता श्री जोशी ने युवा और नवोदित फिल्म निर्माताओं से कहा कि वे विविधता के भ्रम की स्थिति को संजो कर उसका जश्न मनायें। “युवा दिमागों को भ्रम की स्थिति का जश्न मनाना शुरू कर देना चाहिए। भ्रम सबसे उपजाऊ अवस्था है और सबसे अधिक असुविधाजनक है, लेकिन सबसे अच्छे विचारों की उत्पत्ति भ्रम में ही होती है।”

उन्होंने फिल्म निर्माण की आकांक्षा रखने वालों को आगाह किया कि महान सिनेमा का कोई शॉर्टकट नहीं होता है, इसलिए फिल्म निर्माताओं को यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि वे शॉर्टकट से कहीं पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माण में सफलता रचनात्मक प्रयास से होनी चाहिए, न कि संयोग से।

अपनी साधारण शुरुआत का जिक्र करते हुएजोशी ने यह पुरस्कार उत्तराखंड में अपने गृहनगर को समर्पित किया। “मैं अल्मोड़ा के एक छोटे से शहर से आता हूं। छोटे शहर से आने वाले किसी व्यक्ति के लिए सिनेमा की दुनिया का सामना करना बहुत मुश्किल है। मैं इस पुरस्कार को उत्तराखंड के पहाड़ों को समर्पित करता हूं, जहां से मुझे प्रेरणा मिली।”

प्रसून जोशी ने 2001 में राजकुमार संतोषी की ‘लज्जा’ के साथ एक गीतकार के रूप में भारतीय सिनेमा में प्रवेश किया, और तब से वे ‘तारे ज़मीं पर’, ‘रंग दे बसंती’, ‘भाग मिल्खा भाग’, ‘नीरजा’, ‘दिल्ली 6’ और ‘मणिकर्णिका’तथा कई अन्य फिल्मों का हिस्सा रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विज्ञापन पेशेवर होने के अलावाजोशी वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी विज्ञापन कंपनियों में से एक‘मैककैन वर्ल्डग्रुप’ के एशिया-प्रशांत प्रमुख हैं।  उन्होंने कान में ‘गोल्डन लायन’ और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ‘यंग ग्लोबल लीडर’ सहित अनेक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते हैं। वह केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष भी हैं।