तोता सिंह रांगड़ बने लाट साहब और पहाड़ी तोताघाटी

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तोता सिंह रांगड़ बने लाट साहब और पहाड़ी तोताघाटी
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Tota singh Rangad became laut sahab and hill Tota Ghati

ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग (नेशनल हाईवे) पर व्यासी के बाद और साकनीधार से पहले पड़ने वाली तोता घाटी की चट्टानों के बीच से गुजरने का अनुभव जितना रोमांचकारी है, उतनी ही रोचक यहां सड़क निर्माण से जुड़ी कहानी है।

अब शायद आपको वह रोमांच का अहसास न हो पाए, क्योंकि ऑलवेदर रोड के काम में इन चट्टानों को लगभग नेस्तनाबूद कर दिया गया है, लेकिन 40 के दशक में इन कठोर चट्टानों को तोड़कर सड़क निर्माण की चुनौती और इस जगह के नामकरण का इतिहास आज भी आपको रोमांचित करेगा।

पहाड़ी तोताघाटी
पहाड़ी तोताघाटी

व्यासी के बाद और साकनीधार से पहले पड़ने वाली इस पहाड़ी ने 21वीं सदी में आधुनिक मशीनों की भी ठीक उसी तरह से परीक्षा ली। इस जगह पर हार्ड रॉक होने के कारण किसी भी ठेकेदार ने उस रेट पर टेंडर लेने से इनकार कर दिया। क्योंकि यहां पर सड़क बनाना आसान नहीं था। तब तोता सिंह नामक ठेकेदार उसी रेट पर इस शर्त पर सड़क बनाने को तैयार हुए कि इस जगह का नामकरण उनके नाम पर किया जाए।

बताते हैं कि तोता सिंह को इस जगह पर सड़क बनाने में भारी घाटा हुआ। तोता सिंह ने अपनी सारी जमापूंजी लगा दी और वह सड़क बनाने में सफल रहे। तब से ही इस जगह का नाम तोताघाटी रखा गया। खास बात यह है कि यह नाम केवल बोलचाल में नहीं, बल्कि राजपत्र में भी दर्ज है। इससे पहले जब हाईवे चौड़ीकरण का काम हुआ, तब भी इस जगह के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की गई। अब ऑलवेदर रोड निर्माण के दौरान इस पूरी पहाड़ी को काट दिया गया है।

आज के दौर में जब अत्याधुनिक मशीनें और तकनीक है, तब भी इस पहाड़ी को काटने में कंस्ट्रक्शन कंपनी को बहुत पसीना बहाना पड़ा। करीब छह महीने से इस पूरे इलाके में दर्जनों मशीनें लगी हैं और अभी भी पूरी तरह से पहाड़ी को नहीं काटा जा सका है। अभी भी कुछ और दिन पहाड़ी को काटने में लग सकते हैं। इसके बाद फिर कभी यह घाटी नजर नहीं आएगी और विकास के साथ भूगोल बदल जाएगा।

तोता सिंह रांगड़ का नाम पड़ गया लाट साहब

इस जगह पर सड़क बनाने के लिए अपनी जमापूंजी लगाने वाले ठेकेदार का पूरा नाम तोता सिंह रांगड़ था। यह मार्ग ऋषिकेश से देवप्रयाग तक टिहरी रियासत के तत्कालीन राजा नरेंद्र शाह ने संवत 1988 से 1991 में दीवान आईपीएस पंडित चक्रधर जुयाल की देखरेख में बनाया था। यानी की यह मार्ग 1931 में बनना शुरू हुआ और 1935 में बनकर तैयार हो गया था। इसका पता ऋषिकेश में कैलाश गेट के पास कैलाश आश्रम की बाउंड्रीवाल पर लगे पत्थर से चलता है।

तोताघाटी में सड़क बनाने वाले ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ टिहरी जिले के प्रतापनगर ब्लॉक की भदूरा पट्टी के रौणिया गांव के रहने वाले थे। उनके नाती एम.एस. रांगड़ गढ़वाल मंडल विकास निगम के ऋषिलोक गेस्ट हाउस मुनिकीरेती में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं।

M.S. Rangad
M.S. Rangad

तोता सिंह की कहानी के उनके पोते की जुबानी!

एम.एस. रांगड़ ने बताया कि तोता घाटी में सड़क बनाना आसान नहीं था। इसे मेरे दादा जी ने नाक का सवाल बना दिया था। दादी को अपने सारे गहने बेचने पड़ गए थे। दादा जी इस जगह पर सड़क बनाने में कामयाब रहे तो टिहरी रियासत के तत्कालीन राजा नरेंद्र शाह ने उनको बुलावा भेजा। बताते हैं कि तोता सिंह, तब अपनी ठेकेदारी के काम में इतने व्यस्त थे कि उन्होंने राजा के निमंत्रण पर गौर ही नहीं किया। कई बार बुलाने के बाद वह दरबार में गए। बताते हैं कि तब राजा ने नाराजगी जताई और कहा कि आप तो बहुत लाट साहब बन रहे हैं।

तोता सिंह ने अपने गांव जाकर यह किस्सा लोगों को सुनाया और फिर लोगों ने उनका नाम ‘लाट साहब’ ही रख दिया। उनके नाती एम.एस. रांगड़ बताते हैं कि जब राजा को पता चला कि तोता घाटी में सड़क बनाते वक्त घाटा हो गया तो राजा नरेंद्र शाह ने उन्हें नरेंद्रनगर में काफी जमीन दिलाई। तब तोता सिंह अपने गांव से नरेंद्रनगर आकर बस गए। उसके बाद और आज भी इस परिवार की राज परिवार से नजदीकी रही। 86 साल की उम्र में ठेकेदार तोता सिंह का निधन हो गया था।

तोता घाटी में तोता सिंह रांगड़ की प्रतिमा लगाने की उठ रही मांग

वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल एवं जे.पी. चंद, निदेशक सहकारिता देवप्रयाग ने राष्ट्रीय राजमार्ग एवं परिवहन मंत्री नितिक गडकरी व भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के चेयरमैन को पत्र लिखकर तोता घाटी में तत्कालीन ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ की मूर्ति लगवाने के लिए एन.एच.ए.आई. गढ़वाल डिविजन के परियोजना निदेशक एवं अधिकारियों को निर्देशित करने को कहा है।

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