ऐसा भी दिखता है चंबा,
सम्मुख पर्वत- मां सुरकंडा।
खुली धार के आसपास ही,
सुंदर प्यारा नगर है चंबा।
पहले चमुआखाल नाम था,
कहें इसे लोग फिर चम्मा।
समयानुसार परिवर्तन से,
हुआ बाद में नाम यह चंबा।
हुए शहीद सुमन निकट के,
सुमन नाम निकेतन है चंबा।
चौराहे पर बना गबर स्मारक,
अब नगर यह चौक है चंबा।
गांव रहा नही स्थान हमेशा,
नगर पंचायत बना फिर चंबा।
अब नगरपालिका परिषद चंबा,
यह क्रमिक विकास का एजेंडा।
मां सुरकंडा की महा कृपा से,
स्व गतिमान उभरता शहर है चंबा।
यदि बुरा न मानें तो सच कह दूं !
यह त्रिहरि का हृदय स्थल है चंबा।
कवि:सोमवारी लाल सकलानी, निशांत