व्यक्तित्व और कृतित्व का सुखद संगम

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    व्यक्तित्व और कृतित्व का सुखद संगम
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    कुछ दिन पूर्व टिहरी में महामहिम राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह जी को अपनी पुस्तक सुरकुट निवासिनी (जय मां सुरकंडा) की प्रति भेंट करने के लिए गया। साथ में पूर्व सैनिक संगठन के संरक्षक एवं अध्यक्ष इंद्र सिंह नेगी और श्री देव सिंह पुंडीर साथ थे। एवरेस्ट अभियान टीम का हिस्सा रहे कैप्टेन बृजेंद्र नेगी से मिलकर भी महामहिम को बहुत खुशी हुई।

    [su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @कवि:सोमवारी लाल सकलानी, निशांत[/su_highlight]

    महामहिम राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल हैं, इससे सैनिकों के प्रति उनके मन में आज भी प्रकार के स्नेह और सम्मान है। यह उनकी बॉडी लैंग्वेज से ही प्रकट हो रहा था। जिस सहृदयता के साथ वे पूर्व सैनिकों से मिले वह सुखद अनुभूति दिलाने वाला था। प्रोटोकॉल को एक तरफ रखते हुए, बैठक हॉल से बाहर आने पर भी वे पुन: बैठक हाल में गए। ससम्मान पूर्व सैनिकों की बात सुनी और जो सम्मान उन्हें प्रदान किया वह नागरिक सेवाधिकारियों में दुर्लभ है। काश ! यदि नागरिक सेवाओं के अधिकारी भी अपने मातहत रहे कर्मचारियों ऐसा ही सम्मान देते।

    उसी कार्यक्रम के अंतर्गत जहां महामहिम राज्यपाल जी बैठक ले रहे थे, चित्र में वह भव्य भवन पूर्व मुख्यमंत्री (पूर्व मान. सांसद,टिहरी) श्री विजय बहुगुणा की देन है। प्रथम दृष्टा राजमहल की तरह लगता है। भागीरथीपुरम के ऊपर भव्य और आकर्षक का स्थान पर बना हुआ, टिहरी हाइड्रो पावर इंजीनियरिंग यह संस्थान अवस्थित है। जहां से मेरे अनेक छात्र- छात्राओं ने इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर, लब्ध प्रतिष्ठित संस्थानों में हुए वैज्ञानिक और इंजीनियरों के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

    सुंदर निर्माण शैली में बना हुआ यह भव्य भवन टिहरी गढ़वाल की एक पहचान भी बनता जा रहा है। यह संस्थान उच्च स्तरीय संसाधनों से युक्त है और देश के कोने कोने से यहां उदीयमान छात्र-छात्राएं इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के लिए आते हैं। संस्थान के चारों ओर प्राकृतिक छटा दिखाई देती है और नीचे विस्तारित 42 वर्ग किलोमीटर का सुमन सागर या टिहरी झील।

    विस्फारित नेत्रों से अंबर ऊपर से निहारता है और दिखाई देती हैं चारों ओर हिमाच्छादित चोंटियां, ऊंचे- ऊंचे पर्वत, घटियां, नई टिहरी शहर का विहंगम दृश्य और लोक कला और लोक संस्कृति तथा लोग जीवन की केंद्रस्थली झील के आगोश में डूबी हुई -त्रिहरि की आत्मा। भौतिक संसाधनों के साथ, प्रकृति के सानिध्य में अवस्थित यह संस्थान रचनात्मकता की ओर भी छात्रों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। विचारधाराएं चाहे कुछ भी हों लेकिन जो व्यक्ति विकास के कार्यों को आगे बढ़ाने का उत्तराखंड में कार्य करेगा या देश में कार्य करेगा, यह सब का कर्तव्य है कि उसका नाम उल्लेख भी अवश्य किया जाए।

    फिलहाल मै महामहिम राज्यपाल (सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्न श्री गुरमीत सिंह जी को उनके स्नेह के लिए शुक्रिया अदा करता हूं और टिहरी हाइड्रोपावर इलेक्ट्रिकल संस्थान की स्थापना हेतु पूर्व मुख्यमंत्री (पूर्व सांसद) श्री विजय बहुगुणा के प्रयासों की भी सराहना करता हूं। साथ ही अपने जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा करता हूं कि हमेशा विकास पुरुषों को चुनकर प्रदेश की विधानसभा और देश की संसद में भेजें। जिससे क्षेत्र का भी भला हो सके।