वन महोत्सव पखवाड़े के अंतर्गत किया गया वृक्षारोपण, वन विभाग अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा  रोपे गए पौधे

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वन महोत्सव पखवाड़े के अंतर्गत किया गया वृक्षारोपण, वन विभाग अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा रोपे गए पौधे
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कार्यक्रम में सम्मिलित हुई चंबा नगर पालिका परिषद अध्यक्ष सुमन रमोला

नगर क्षेत्र चंबा वन-महोत्सव पखवाड़े के अंतर्गत वन विभाग उत्तराखंड नरेंद्र नगर प्रभाग (भागीरथी वृत, मुनी की रेती) के द्वारा वन- महोत्सव कार्यक्रम 01 जुलाई से 07 जुलाई तक गतिमान है। कार्यक्रम के छठवें दिन सकलाना रेंज के वन क्षेत्राधिकारी तथा कर्मचारियों के सहयोग से तल्ला चंबा, रेंज कार्यालय के सम्मुख, श्री देव सुमन राजकीय इंटर कॉलेज के समीप वृक्षारोपण किया गया। वृक्षारोपण के उपरांत जन जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया।

सरहद का साक्षी @सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत’

वन क्षेत्राधिकारी प्रबोद पांडे ने वृक्षारोपण, वनों का संरक्षण, वन विभाग के द्वारा किए गए कार्यों के बारे में विस्तार से बताया।
नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष सुमन रमोला ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह हम सब की नैतिक जिम्मेदारी बनती है। सामूहिक प्रयास के द्वारा हम अपने जल,जंगल और जमीन को बचाएं। नगर क्षेत्र के अंतर्गत बंदरों के आतंक पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि जंगलात और पालिका परिषद के संयुक्त प्रयास से समस्या का हल ढूंढा जा सकता है। यथाशीघ्र नगर पालिका और वन विभाग के अधिकारियों, जागरूक व्यक्तियों की बैठक आयोजित करने की बात कही। ठोस कार्यवाही हेतु प्रस्ताव भी लाए जाएंगे। नगर और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए हम क्या बेहतर कर सकते हैं? इस पर उन्होंने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। कहा कि जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारी/ कर्मचारियों में तालमेल के द्वारा ही हम लक्ष्य की प्राप्त कर सकते हैं।

वन महोत्सव पखवाड़े के अंतर्गत किया गया वृक्षारोपण, वन विभाग अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा  रोपे गए पौधे

कवि सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत’ ने स्वर्गीय कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, पूर्व कैबिनेट मंत्री को स्मरण करते हुए कहा कि सन 1950 से जुलाई के प्रथम सप्ताह वन -महोत्सव पखवाड़ा मनाया जाता है। इस कार्य को केवल हम रस्म अदायगी न समझें बल्कि अपनी  नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए वृक्षारोपण करें। वृक्षों का संरक्षण करें। प्रत्येक व्यक्ति एक वृक्ष गोद ले। उस पर नाम पट्टिका लगाए। यदि कतिपय कारणों से वृक्ष सूख जाए या नष्ट हो जाए तो वहां पर दूसरा पौधा रोप दिया जाए। अगर प्रत्येक व्यक्ति मात्र एक पौधा रोपे और उसका संरक्षण करें तो हम लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं।

कहा कि नियमानुसार 33% जंगलों का होना आवश्यक है। जंगल हमें ऑक्सीजन के साथ- साथ ईंधन, इमारती लकड़ी, काष्टोपकरण और सौंदर्य वन प्रदान करते हैं। इसलिए प्रत्येक प्रकार के पौधों का रोपण आवश्यक है। छायादार,शोभादार,फलदार यहां तक कि कुकाट और कुंजदार वृक्षों का भी रोपण करना चाहिए। जल स्रोतों को जीवित रखने के लिए उन कुंज और झाड़ीनुमा पौधों का रोपण करना चाहिए। नदी- नालों के आसपास, बंजर भूमि और हिमालय की छोटी-छोटी घाटियों में हमें वृक्षारोपण का कार्य करना चाहिए।

इस अवसर पर उप वन क्षेत्राधिकारी संजय सेमवाल, कुंवर चंद रमोला, रामस्वरूप बिजल्वाण, राकेश बिजल्वाण, ओमप्रकाश लेखवार, राजपाल सिंह नेगी, हुकम सिंह कैंतूरा आदि ने सहयोग किया।

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