व्यक्तित्व एवं कृतित्व के धनी स्व.मेहर सिंह नेगी जैसे व्यक्ति युगों तक याद किए जाते हैं

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    व्यक्तित्व एवं कृतित्व के धनी स्व.मेहर सिंह नेगी जैसे व्यक्ति युगों तक याद किए जाते हैं
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    एक वर्ष पूर्व जब सोशल मीडिया के द्वारा श्री मेहर सिंह नेगी के देहावसान का पता चला। अत्यंत दुख हुआ।  स्व. श्री मेहर सिंह नेगी टिहरी कलक्ट्रेट में कार्यरत थे और मुझे अपने निजी कार्य बस मुझे कलक्ट्रेट जाना हुआ। उस समय भी टिहरी में तीन एसडीएम कार्यरत थे। श्री घनश्याम सिंह, अर्चना गहरवार और बी.एस. धनिक। चार घंटे से मैं चक्कर लगाता रहा लेकिन कार्य नहीं हुआ। श्री घनश्याम सिंह एसडीएम साहब ने कहा कि वह कार्य अर्चना गहरवार करेंगी। गहरवार लंच में चली गई थी।

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    काफी प्रतीक्षा करने के बाद भी कार्यालय में नहीं लौटी । शायद कहीं फील्ड में चली गई हों। मजिस्ट्रेट साहिब हैं भाई ! न जाने कब क्या कार्य पड़ जाए और कहां जाना पड़ सकता है। शाम के 3:00 बज गए। मैं दफ्तर के चक्कर काटता रहा। गांव के लिए अंतिम बस न्यू टिहरी से 3:30 बजे निकलती थी। इसलिए बड़बड़ाता हुआ बाहर आया। हो सकता है कुछ भला- बुरा भी कहने लग गया था।

    तभी पीछे से किसी ने कंधे के ऊपर हाथ रखा और कहा,” पंडित जी, क्या बात है ? कुछ परेशान नजर आ रहे हो !” जब व्यक्ति तनाव और गुस्से में होता है ,तो न जाने कैसे अपशब्द मुहं से निकल आते हैं । मुड़ के देखा तो एक अपरिचित व्यक्ति थे। मैंने फिर अपनी बात उनके सम्मुख रखी। उन्होंने कागजात मेरे हाथ से लिए और एक दरवाजे से अंदर जाकर और 03 मिनट के अंतर्गत कागज मेरे हाथ में थमाते हुए बोले,” गुरुजी लो , आपका काम हो गया “। मैंने आंखों को मीचते हुए देखा तो कागजातों पर एसडीएम साहब के दस्तखत हो चुके थे। मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। जिस कार्य के लिए मैं 06 घंटे से परेशान था, वह कार्य 03 मिनट में हो गया।

    मैंने उनसे उनका परिचय जानना चाहा । ” मैं मेहर सिंह हूं ।आपको कई वर्ष पूर्व से जानता हूं। भले ही आप मुझे नहीं पहचानते हैं। एक बार धार मंडल में भी आपसे मुलाकात हुई थी। यहीं कलेक्ट्रेट में कार्यरत हूं। कार्य हो जाने के कारण मैं अत्यंत प्रसन्न था। मैंने उनसे चाय पीने का आग्रह किया। वे सहर्ष तैयार हो गए।  लाला को मैंने चाय और पकौड़ी का आदेश दिया। जब मैंने दुकानदार को पैसे देने चाहे तो दुकानदार ने लेने से मना कर दिया और बताया कि नेगी जी ने पैसे दे दिये है। मेरी समझ में नहीं आया कि आज तक तो मैंने हमेशा यही सुना था कि किसी कार्यालय में बिना चाय- पानी पिलाए कोई बाबू कार्य नहीं करता। लेकिन जब देखा कि कार्यालयों में ऐसे ही बाबू हैं जो कि जनता का कार्य करने के लिए अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं। यदि कोई उनका परिचित, स्नेही व्यक्ति मिल गया तो उसका आदर भी करते हैं।

    उसके बाद मैं कभी मेहर सिंह नेगी जी को भूल नहीं पाया। यह बात मैंने कई बार अपने मित्रों से भी कहीं। यदा-कदा जब कलेक्ट्रेट परिसर में उनसे किसी कार्य बस भेंट होती तो बड़ी प्रसन्नता से मिलते थे। मुझे यही परेशानी होती थी कि जितनी बार भी उनसे मिला कभी बिना चाय पिलाये नहीं माने। जब  उनकी असामयिक मृत्यु हुई तो मन बेचैन हो उठा। लगा कि हमने कोई अपना निजी व्यक्ति खो लिया है।
    यद्यपि मुझे स्वर्गीय श्री नेगी जी के परिवार जन आदि के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है, क्योंकि मेरा और उनका रिश्ता सौहार्द का रिश्ता था और कभी भी निजी बातें अभिव्यक्त करने का मौका नहीं मिला। अपनी असामयिक मृत्यु के समय वे हमारी तहसील धनोल्टी में पदोन्नत होकर कार्यरत थे। मैं ईश्वर से उस दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं। ऐसे लोग समाज के द्वारा समय समय पर याद किए जाते हैं। यद्यपि वह इस दुनिया से चले जाते हैं लेकिन अपने पीछे छोड़ जाते हैं – अपनी पहचान, अपने सहयोग की भावना ,अपनी कर्तव्य निष्ठा और अपना व्यवहार। एक बार पुन: उनकी पुण्यतिथि पर उस दिव्यात्मा को नमन करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ।

    *कवि कुटीर, सुमन कालोनी चंबा, टिहरी गढ़वाल