सनातन धर्मी पुजारियों को सरकारों से मासिक भत्ता दिये जाने को लेकर कार्यशाला का आयोजन

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    सनातन धर्मी पुजारियों को सरकारों से मासिक भत्ता दिये जाने को लेकर कार्यशाला का आयोजन
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    आत्मार्थ जीवलोकेस्मिन्
    को न जीवति मानव:
    परं परोपकारार्थ
    यो जीवति स जिवती

    [su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @ई०/पं०सुन्दर लाल उनियाल (मैथिल ब्राह्मण)[/su_highlight]

    किसी भी देश या राष्ट्र का प्राण उसके संस्कार या संस्कृति ही हैं। संस्कारों से प्रत्येक जीव की आत्मा और उनका अन्त:करण शुद्ध होता ही है तथा सांसारिक सीमाओं में आबद्ध आत्मा के उत्थानानुकूल सम्यक भूषणभूत कृतियाँ ही हमारी संस्कृति का विकास भी करती हैं।

    हमारी भारतीय सनातन संस्कृति के शास्त्र, मन्दिर,संत अर्थात गुरू-आचार्य, गाय, गंगा, गायत्री गीता और कन्या यह सभी मूल आधार स्तम्भ है और यह हम सभी भारतीयों के आस्था के प्रमुख केन्द्र भी हैं।

    यह सब सदैव परोपकार की भावना के साथ ही निस्वार्थ निरंतर जन-जन के कल्याण में लगे रहते हैं जो सच में श्रेष्ठ व उत्तम कार्य और कार्यशैली के साथ- साथ हमारे भारतीय सनातनियों के संस्कार भी हैँ और संस्कृति भी हैं।

    लेकिन हमारी इस भारतीय सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने एवं इसको पुष्ट करने वाले अपने आचार्यों, पुरोहितों, पुजारियों की स्थिति पर भी गम्भीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।

    पिछले दो वर्षों में कोरोना नामक बीमारी के कारण सबसे ज्यादा परेशानी भारतीय सनातन संस्कृति को पुष्ठ व उसका प्रचार प्रसार करने वाले विप्र समाज पर आई। झ्स भंयकर त्रासदी के दंश ने हमारे विप्र समाज को अन्दर तक झकझोर दिया।

    ऐसे समय में दिल्ली स्थित संस्कृति विज्ञान नामक संस्था द्वारा देश के समस्त सनातन धर्मी पुजारियों को सरकारों से मासिक भत्ता दिये जाने के सम्बन्ध में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें विप्र समाज विशेषकर पुजारियों की आर्थिक के साथ साथ उनकी शैक्षणिक स्थिति में सुधारों के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा की गयी।

    संस्था द्वारा आयोजित कार्यशाला में भाग लेने का अवसर मिला। जहाँ पर मुख्य अतिथि कें रुप मे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद  तीरथ सिंह रावत, जिनसे मेरे परिवार के निजी सम्बन्ध व सम्पर्क भी हैं के साथ साथ मेरे देश के विप्र समाज एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों से भी भेंट व विचारों के आदान प्रदान करने का भी पुण्य अवसर मिला।

    श्री रावत द्वारा विप्र समाज के पुजारियों को मासिक भत्ता दिये जाने की मांग का समर्थन करते हुये विप्र समाज के आर्थिक शैक्षणिक व सामाजिक उत्थान के सम्बन्ध में सकारात्मक एवं सारगर्भित सुझाव दिये गये।

    कार्यशाला में उपस्थित सभी विप्र समाज द्वारा श्री रावत का हृदय से साभार साधुवाद कर उनकी भूरि भूरि प्रशंसा की गयी कि उनके द्वारा विप्र समाज के पुजारियों को मासिक भत्ता देने के लिये अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया गया।

    अंत में इंदिरापुरम, गा०बाद की डा० स्मृति शर्मा द्वारा कार्यशाला में सम्मिलित पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद तीरथ सिंह रावत एवं सभी विप्र समाज तथा अतिथियों का आभार प्रकट किया गया।