पावन पर्व फुलदेई संक्रांति पर चंबा में खुले नए व्यावसायिक प्रतिष्ठान

125
पावन पर्व फुलदेई संक्रांति पर चंबा में खुले नए व्यावसायिक प्रतिष्ठान
यहाँ क्लिक कर पोस्ट सुनें
 पूर्व कैबिनेट मंत्री तथा उत्तराखंड जन एकता पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री दिनेश धनै हुए उपस्थित
व्यवसाय की सफलता हेतु दी शुभकामनाएं

[su_highlight background=”#880e09″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @कवि:सोमवारी लाल सकलानी, निशांत[/su_highlight]

पूर्व कैबिनेट मंत्री और उत्तराखंड जन एकता पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री दिनेश धनै भले ही इस बार भी विधानसभा चुनाव में मामूली अंतर से चूक गए हैं, इसके बावजूद भी निरंतर जन सरोकारों में समर्पित हैं।

एक मजबूत दिल के इंसान हैं। एक स्पष्ट सोच के महान राजनेता होने के साथ -साथ वह विकास पुरुष हैं। उनकी महानता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि परिणाम घोषित होने के बाद, उनकी तपस्या पर पानी फिर जाने के बाद भी, उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी मान. विधायक श्री किशोर उपाध्याय को विजयी होने पर बधाई दी और टिहरी के विकास कार्यों को गतिशील बनाने की अपेक्षा की।

लगातार जन सेवा में समर्पित यह जननेता भले ही आज अपने को टूटा हुआ महसूस कर रहा है लेकिन मनोवैज्ञानिक रूप से आज भी मजबूत और जिंदादिल राजनेता है। श्री दिनेश धनै टिहरी की पहचान के रूप में जाने जाते हैं और कमोबेश उनके विरोधी भी उन्हें विकास पुरुष मानने से इंकार नहीं कर सकते। राजनीति में उतार-चढ़ाव लगा हुआ है।भले ही पराजय की पीड़ा असहनीय होती है, इसके बावजूद भी संतुलन बनाना पड़ता है।

आशाओं पर संसार टिका हुआ है। काली रात कितनी भी अंधेरी क्यों ना हो, उसके बाद उजाला अवश्य होता है। श्री दिनेश धनै के इस बार भी विधानसभा चुनाव में चूक जाने से कार्यकर्ताओं को भी असह्य पीड़ा सहन करनी पड़ी। लगातार वर्षों तक परिश्रम करके एक मजबूत स्थिति में वे थे, इसलिए कार्यकर्ताओं,मतदाताओं को भी अवश्य ठेस पहुंची है।

राजनीति में चुनाव जीतना और हारना अलग बात है और जनता के हितों के लिए समर्पित रहना, सुख- दु:ख में ढाल की तरह मौजूद रहना, प्रत्येक व्यक्ति के दुख और दर्द को समझना और सार्वजनिक हित के कार्य करना यह महत्वपूर्ण है।
राजनीतिक षड्यंत्रों की जननी होती है। साम, दाम, दंड और भेद की नीति राजनीति में युगों से चलती आयी है। इसलिए युद्ध और राजनीति में बहुत कुछ जायज है, यह कहा जाना भी असत्य नहीं है।

श्री दिनेश धनै का नाम टिहरी विधानसभा क्षेत्र (उत्तराखंड) के अन्य विधानसभा क्षेत्रों की तुलना में इस बार भी सुर्खियों में था। इसका कारण है,एक ओर राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशी और दूसरी ओर निर्दलीय या नवगठित पार्टी के अध्यक्ष के रूप में टक्कर लेना। कोई हंसी खेल नहीं है। राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशियों के साथ आदरणीय मोदी जी और योगी जी का करिश्माई व्यक्तित्व तो दूसरी ओर श्री दिनेश धनै के साथ हम जैसे साधारण आम जन। उनकी कार्यकुशलता और समर्पण की भावना के कारण जनता का उन्हे जबरदस्त समर्थक मिला,भले ही वह कुछ पीछे रह जाने से विधायिका के अंग बनने से वंचित हो गये हों।

उत्तराखंड के लोग राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है, फिर भी इतना निश्चित है कि राष्ट्रीय भावनाएं लोकसभा के चुनाव में देखी जानी चाहिए। विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय विकास के मुद्दे होने जरूरी हैं और क्षेत्रीय विकास को ध्यान रखते हुए राजनेता का चयन किया जाना चाहिए। टिहरी विधानसभा क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधायिका में जब कॉमरेड स्व गोविंद सिंह नेगी विधायक थे तो ध्यानाकर्षण के लिए वह विधानसभा में टिहरी की पहचान बनाते थे और अपनी मांगों पर ध्यानाकर्षण करते थे। जिसके फलस्वरूप उनकी बात सुनी जाती थी और उन पर अमल भी होता था।

राजनेता जुझारू, जीवट और सक्रिय होना चाहिए। जनता की सेवाऔर सार्वजनिक क्षेत्र मे उसे कार्य करना होता है। इसलिए उस कसौटी पर भी उसे खरा उतरना पड़ता है। अन्यथा सरकार चलाने के लिए संख्या में इजाफा करना कोई बड़ी बात नहीं है।
आज शहर क्षेत्र चंबा में फुलदेई के पावन पर्व के अवसर पर दो व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का उद्घाटन हुआ। उन्हीं में से एक अत्यंत साधारण व्यवसाई ने जब श्री दिनेश धनै से इस अवसर पर आने के लिए न्योता दिया, तो उन्होंने शाररिक कमजोरी के बावजूद भी आग्रह स्वीकार किया और उपस्थित हो कर शुभाशीष दिया। यह उनके बड़प्पन का परिचायक है। उनका एक जननेता और राजनेता होने का परिचायक है। भले ही वह इस बार चुनाव में चूक गए हों लेकिन मुझे विश्वास है कि भविष्य में श्री दिनेश धनै और मजबूती के साथ विजयी होंगे।

“हानि लाभ जीवन मरण, यश अपयश विधि हाथ” कहा गया है। लेकिन पुरुषार्थी व्यक्ति भाग्य की लकीरों को भी बदल देता है। ऐसे अनेकों उदाहरण हमारे पास हैं और उन्हें उदाहरणों में से एक हैं श्री दिनेश धनै।