उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘हमें अपनी नदियों को तात्कालिकता की भावना के साथ बचाना होगा
उन्होंने भारतीय नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान चलाने का आह्वान किया
स्कूल पाठ्यक्रम में जलसंरक्षण के बारे में पाठ शामिल होने चाहिए: श्री नायडू
उपराष्ट्रपति ने गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी विरासत एवं सांस्कृतिक केंद्र का उद्घाटन किया
इस विरासत केंद्र की प्रशंसा करते हुए, श्री नायडू ने यह सुझाव दिया कि अन्य सांस्कृतिक स्थलों पर भी लोगों के लिए हरे भरे और स्वस्थ स्थान बनाए जाने चाहिए
[su_highlight background=”#880930″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी, नई दिल्ली : [/su_highlight] उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज देश की नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए एक शक्तिशाली राष्ट्रीय अभियान चलाए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए सुझाव दिया कि हमें अपनी नदियों को तात्कालिकता की भावना के साथ बचाना होगा।
यह उल्लेख करते हुए कि भारत में नदियों को सदैव ही उनकी जीवन दायिनी शक्ति के लिए सम्मानित किया गया है,श्री नायडू ने कहा कि बढ़ते हुए शहरीकरण और औद्योगीकरण से देश के विभिन्न भागों मेंनदियों और अन्य जल निकायों में प्रदूषण को बढ़ावा मिला है। विगत में हमारे गाँव और शहरोंमें अनेक जल निकाय हुआ करते थे। आधुनिकीकरण की चाह औरलालच से प्रेरित होकर मनुष्य ने प्राकृतिक इकोसिस्टम को नष्ट कर दिया है और अनेक स्थानों परयेजल निकाय या तो लगभग लुप्त हो गए हैं या उन पर अतिक्रमण कर लिया गया है।
The Vice President arrives in Guwahati for his tour to North Eastern States. pic.twitter.com/a1KMIPHoBn
— Vice President of India (@VPSecretariat) October 3, 2021
उपराष्ट्रपति श्री नायडू पूर्वोत्तर के दौरे पर आज गुवाहाटी पहुंचे और उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर विरासत एवं सांस्कृतिक केंद्र का उद्घाटन करके अपनी यात्रा का शुभारंभ किया। उन्होंने इस सांस्कृतिक केंद्र के संग्रहालय का भी दौरा किया और इस अवसर पर एक कॉफी-टेबल पुस्तक ‘फॉरएवर गुवाहाटी’ का विमोचन किया।
बाद में एक फेसबुक पोस्ट में, श्री नायडू ने असम और ब्रह्मपुत्र नदी की यात्रा के अपने अनुभव को अविस्मरणीय बताया। उन्होंने लिखा है कि वह ‘ब्रह्मपुत्र नदी के प्राकृतिक सौन्दर्य को देखकर चकित रह गए। उन्होंने एक शानदार नदी के किनारे बने शानदार बगीचे से नदी का दृश्य देखा। मैं इस स्मृति को लंबे समय तक याद रखूंगा।’ उन्होंने कहा कि लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करने वाली यह महान नदी इस क्षेत्र की संस्कृति और इतिहास का एक अभिन्न अंग है।
उपराष्ट्रपति ने उस पहाड़ी की विरासत का उल्लेख किया जहां यह विरासत केंद्र अहोम साम्राज्य के शक्तिशाली बोरफुकन, लचित बोरफुकन के आधार शिविर के रूप में स्थित है। अपनी यात्रा के दौरान, श्री नायडू ने इस केंद्र के कई हिस्सों जैसे कला दीर्घा, ‘’लाइफ अलॉन्ग द रिवर’ शीर्षक के साथ केन्द्रीय हॉलऔर प्रसिद्ध मास्क, पैनल पेंटिंग और अन्य कलाकृतियां से युक्त ‘माजुली कॉर्नर’ का दौरा किया।
श्री नायडू ने इस तथ्य की सराहना की कि विरासत परिसर केवल पद यात्रियों के लिए है और इस स्थल की शांति बनाए रखने के लिए यहां वाहनों के आवागमन पर रोकलगा दी गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि देश भर के अन्य विरासत केंद्रों को भी इस तरह की हरी-भरी और स्वस्थ प्रथाओं को अपनाना चाहिएऔरआगंतुकों के लिए पैदल और साइकिल पथ का निर्माण करना चाहिए।