गढ़-नरेशों की आराध्य देवी मां नंदा जी (भगवती राज-राजेश्वरी जलेड),  देवलगढ़ (गढ़वाल) में है मां का प्राचीनतम मंदिर

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शनैः शनैः अपनी पहचान खोते जा रहे हैं हमारे परम्परागत थौळ कौथिग, माता श्री राजराजेश्वरी (जलेड) के आंचल में आज 10 गते बैसाख लगता था मखलोगी का प्रसिद्ध धारू का मेला
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चैत्र नवरात्र षष्ठी तिथि के पावन अवसर पर आज मां राज-राजेश्वरी के मंदिर में दर्शन किए। चंबा प्रखंड के मखलोगी पट्टी के जलेठ में मां राजराजेश्वरी का नवनिर्मित मंदिर है। यह सिद्ध शक्तिपीठों में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। खुले स्थान पर सुंदर स्वच्छ वातावरण में अवस्थित यह मंदिर बहुत पहले से यहां पर स्थापित है। लेकिन दशकों पूर्व जब इसका भव्य रूप सामने आया तो यह स्थानीय निवासियों के अलावा असंख्य लोगों की श्रद्धा का केंद्र बन गया।

मंदिर सड़क संपर्क मार्ग से जुड़ा हुआ हैँ चंबा से 16 किलोमीटर दूर बंगोली तुंगोली,खाल खंडकरी होते हुए यह संपर्क सड़क जलेठ पहुंचती है। वहां से टिंगरी आदि गांवों से होती हुई गजा-नकोट सड़क पर मिलती है। जहां से गजा होकर खाड़ी या नकोट होकर पुनः चंबा आया जा सकता है।

मां राज-राजेश्वरी गढ़ नरेशों की कुलदेवी, आराध्य देवी के रूप में आदिकाल से मानी गई है। पौड़ी गढ़वाल के देवलगढ़ में मां राजराजेश्वरी का प्राचीनतम मंदिर है जो की आठवीं शताब्दी का बना हुआ है। गढ़ नरेश पांडुपाल महाराज के द्वारा यह मंदिर स्थापित किया गया था। राजाओं की आराध्य देवी होने के कारण मां दुर्गा के इस रूप को राज-राजेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है।
जलेठ स्थित राज-राजेश्वरी का यह मंदिर सैकड़ों गांव के लोगों की श्री श्रद्धा का केंद्र है। यहां मैथिली ब्राह्मणों (उनियाल/ओझा/झा) के द्वारा मां की पूजा की जाती है। क्षेत्रवासियों के अलावा अनेक प्रवासी नागरिकों, क्षेत्र की ध्याणियों और मातृशक्ति की आराधना का भी यह केंद्र है।

मां राज-राजेश्वरी और श्री यंत्र का अन्योन्याश्रित संबंध है। श्री यंत्र के बारे में अनेकों धार्मिक ग्रंथों में विस्तृत चर्चा की गई है। श्रीनगर स्थित श्री यंत्र जिसे आदि गुरु शंकराचार्य ने बद्रीनाथ धाम की स्थापना के साथ ही पलट दिया था। आज भी श्रीयंत्र टापू श्रीनगर और कीर्ति नगर के बीच में अवस्थित है। मुख्य रुप से श्रीयंत्र गढ़ नरेशों की आराध्य देवी नंदा जी के पुरुहितों के गांव नौटी में स्थापित कर दिया गया,कहा जाता है।

हिंदू धर्मशास्त्रों, महाकाव्यों, पुराणों और ब्राह्मण ग्रंथों में मां भगवती के बारे में अनेक कथाएं आदि काल से प्रचलित रही हैं। नवरात्र के 9 दिनों में मां की पूजा का संपूर्ण भारत वर्ष ही नहीं बल्कि देश- विदेशों में भी हिंदू धर्मावलंबियों के द्वारा पूजन किया जाता है। कई अन्य धर्म और संप्रदाय के लोग भी मां भगवती की पूजा अर्चना में शरीक होते हैं और हिंदुओं के समान ही समान महत्व देते हैं। आज मां राज-राजेश्वरी मंदिर जलेठ जाकर अपने नाते- रिश्तेदारों,बहिन, पूर्व परिचित व्यक्तियों और अपने दूर से आए हुए सजातीय बंधुओं से भी संपर्क हुआ, जिससे अभिभूत हूं।

कवि:सोमवारी लाल सकलानी, निशांत

असीम आनंद की प्राप्ति के साथ मां भगवती राज-राजेश्वरी सबकी मनोकामना पूर्ण करें। जीवन में खुशहाली, समृद्धि, सुख और प्रसन्नता लाए। मां की कृपा दृष्टि बनी रहे। एक बार पुन: नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।