महाशिवरात्रि: वह रात्रि जिसका है शिव तत्व के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध

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आज महाशिवरात्रि अर्थात् वह रात्रि जिसका शिव तत्व के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है। भगवान शंकर की अति प्रिय रात्रि को शिव रात्रि कहा जाता है। इस व्रत की विशेषता भगवान शिव का अर्चन कर जागरण किया जाना है।

रात भर भगवान शिव का अभिषेक किया जाना श्रेयस्कर है। मां पार्वती की जिज्ञासा से भगवान भोलेनाथ ने जो कुछ कहा वही आज की रात्रि का कथानक बना। भगवान भूत नाथ ने कहा कि फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी महाशिवरात्रि है, जो आज उपवास करता है वह मुझे प्रसन्न करता है। विशेष पूजा अर्चना करें या न करें उपवास से ही मैं प्रसन्न हो जाता हूं। उन्होंने कहा कि –

फाल्गुने कृष्णपक्षस्य या तिथि स्याच्चतुर्दशी ।
तस्यां या तामसी रात्रि: सोच्यते शिवरात्रिका ।।.
तत्रोपवासं कुर्वाण: प्रसादयति मां ध्रुवम् ।
न स्नानेन न वस्त्रेण न धूपेन न चार्चया ।
तुष्यामि न तथा पुष्पैर्यथा तत्रोपवासत: ।।

भगवान महादेव ने इस दिवस के विषयक यह जानकारी दी गई, वैसे प्रत्येक महीने की कृष्ण चतुर्दशी शिवरात्रि है अतः फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी महाशिवरात्रि स्वत: हो जाती है। वैसे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस माह फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को चन्द्रमा सूर्य के समीप होता है, अतः वही समय जीवन रूपी चन्द्रमा का शिव रूपी सूर्य के साथ योग (मिलन) होता है। अतः आज के दिन शिव पूजन करने से प्राणी को पारलौकिक शक्तियों (फल) की प्राप्ति होती है, और यही शिव रात्रि का विशेष रहस्य है।

आज महाशिवरात्रि का पर्व शिव के अवतरण की मङ्गल सूचकता है। भगवान भोलेनाथ की निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कही जाती है और विशेष रूप से हमें (मानव मात्र को) अपने छ: शत्रुओं से मुक्त करके परम सुख व शान्ति प्रदान करती है।

(छ: शत्रु है — काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर इनके हटने से ही विवेक की जाग्रति होती है)

आज की रात्रि के चारों प्रहरों में चार बार पूजा करनी चाहिए। पञ्चाक्षर मंत्र का जाप रुद्री पाठ अभिषेक महत्वपूर्ण है। विशेष कथाएं बहुत है, जिन्हें विद्वत समुदाय अवश्य प्रचारित करेंगे।

सभी सुधी पाठकों, शुभचिंतकों को सरहद का साक्षी, परिवार की ओर से महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं! भगवान भूतनाथ, भूत-भावन सबका कल्याण करेंगे ऐसी मंगलमय कामना है।

[su_highlight background=”#880e09″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी, आचार्य हर्षमणि बहुगुणा [/su_highlight]

ॐ नमः शिवायः।