माता च पार्वती साक्षात्पिता देवो महेश्वर:
बान्धवा: शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्
पार्वती माता व महेश्वर साक्षात पितारूप हैं व सभी शिवभक्त बन्धु बान्धव हैं और तीनों भुवन अपना ही देश है। सदा यही भाव व भावना रहनी चाहिये।
फाल्गुने कृष्णपक्षस्य या तिथि स्याच्चतुर्दशी
तस्यां या तामसी रात्रि: सोच्यते शिवरात्रिका
प्रत्येक मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि कहते है लेकिन फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। शिवरात्रि एक बोधोत्सव है अर्थात ऐसा महोत्सव जिसमें अपना बोध होता है कि हम भी शिव के अंश हैं और उनके संरक्षण में हैँ।
आज भगवान शिव का पूजन करने से मानव को पारलौकिक शक्तियों की सहज ही प्राप्ति हो जाती है। आओ हम सब मिलकर भगवान देवाधिदेव महादेव के द्वादश ज्योर्तिलिगों की सबके कल्याण के लिये पूजा करें।
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरम्
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारूकावने
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर:
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति
आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर देवों के भी देव भगवान शिव जो प्रत्येक जीव को अपनी भक्ति प्रदान करने के लिये अत्यन्त रमणीय और निर्मल प्रदेशों में एक साथ शिव-शक्ति के रूप में अवर्तीण होते हैं, जिनका दर्शन करने मात्र से जीव का मंगल व कल्याण होता है।
वह श्री गौरीशंकर जो स्वयं आनन्दकंद है और अनाथों के भी नाथ श्रीविश्वनाथ हैं तथा सदैव सबका कल्याण करने वाले है, उनके बारह ज्योतिर्लिग स्वरूपों का प्रतिपल स्मरण कर साष्टांग सपरिवार उन श्रीचरणों की शरण में जाता हूँ। देवाधिदेव महादेव भगवान भूतभावन आपका और आपके परिवार का सदा सर्वदा मंगल कर आपकी समस्त मनोकामनाए पूर्ण करें।
आप देवश्री की असीम कृपा से सभी सदैव सुखी, स्वस्थ, समृद्ध, निरोगी एवं दीर्घायु हों तथा अपने-अपने क्षेत्र के उच्चतम शिखर को प्राप्त करें, देवश्री के श्रीचरर्णो से प्रतिपल यही कामना व प्रार्थना करते हैं।
[su_highlight background=”#880e09″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी, @ईo/पंo सुन्दर लाल उनियाल (मैथिल ब्राह्मण)[/su_highlight]