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सुख, समृद्धि और खुशहाली का पर्व हरेला राडस से जुड़ी महिलाओं के द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

महिलाओं के द्वारा एक साथ समूह मे मिलकर फलदार पौधै लगाये गए। साथ हमारे जीवन मे वृक्षों की क्या उपयोगिता है पर गोष्ठी की गईं। गोष्ठी को संस्था अध्यक्ष सुशील बहुगुणा ने ऑनलाइन संबोधित किया।

इस अवसर पर हरेला पर्व क्यों मनाया जाता है जानकारी देते हुए वक्ताओं ने कहा कि इस बार हरियाली का प्रतीक हरेला पर्व 16 जुलाई को मनाया गया। हरेला पर्व के साथ ही सावन का महीना शुरू हो जाता है।

हरेला पर्व से 9 दिन पहले घर के मंदिर में कई प्रकार का अनाज टोकरी में बोया जाता है और माना जाता है कि टोकरी में अगर भरभरा कर अनाज उगा है तो इस बार की फसल अच्छी होगी।

हरेला पर्व के दिन मंदिर की टोकरी में बोया गया अनाज काटने से पहले कई पकवान बनाकर देवी देवताओं को भोग लगाया जाता है जिसके बाद पूजा की जाती है। घर-परिवार के सदस्यों को हरेला (अंकुरित अनाज) शिरोधरण कराया जाता है।

कार्यक्रम मे मधु चमोली, बिंद्रा, दीपमाला, प्रतिमा, राजेश्वरी, मीना, मंजू, देवेश्वरी, रामेश्वरी, बसु देवी, सीमा, लक्ष्मी व विनोद डबराल ने शिरकत की। संस्था राडस की तरफ से कुंभीबाला भट्ट व जगदीश बडोनी उपस्थित थे।

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