अभीष्ट फल प्रदाता देव जो सभी दुखों का हरण करते हैं, आइए! करें उनकी स्तुति

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“त्वमेव माता च पिता त्वमेव” श्लोक के अर्थ की गम्भीरता समझें तो चौंकाने वाली है...!
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, श्लोक के अर्थ की गम्भीरता समझें तो चौंकाने वाली है
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ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

रूद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रुद्र हैं और रुद्र ही शिव है। रुद्र रूप में प्रतिष्ठित महादेव शिव ही हमारे सभी दु:खों को शीघ्र समाप्त कर अभीष्ट फल प्रदान करने वाले देव हैं।

[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी @ई./पंडित सुंदरलाल उनियाल[/su_highlight]

ऐसे भगवान शिव हम जिनके त्रिनेत्र को पूजते हैं, जो सुगंधित हैं, हमारा हर प्रकार से पोषण करते हैं। जिस तरह फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं तथा वह देवाधिदेव महादेव हम सबका हर प्रकार से मंगल करें।

आओ सब मिलकर आज भगवान शिव के नटराज स्वरूप की स्तुति कर अपने को धन्य करें:-

*सत सृष्टि ताडंव रचयिता*
*नटराज राज नमो नम:*
*हे आद्य गुरू शंकर पिता*
*नटराज राज नमो नम:*

*गंभीर नाद मृदगंना*
*धबके उरे ब्रह्माडंमा*
*नित होत नाद प्रचंडना*
*नटराज राज नमो नम:*

*सिर ज्ञान गंगा चंन्द्रमा*
*चिद ब्रह्म ज्योति ललाटमा*
*विषनाग माला कंठमा*
*नटराज राज नमो नम:*

*तवशक्ति बामांगे स्थिता*
*हे चन्द्रिका अपराजिता*
*चहुँ वेद गाएं संहिता*
*नटराज राज नमो नम:*

*सत सृष्टि ताडंव रचयिता*
*नटराज राज नमो नम:*
*हे आद्य गुरू शंकर पिता*
*नटराज राज नमो नम:*

देवाधिदेव महादेव भगवान नटराज आप सबका सदैव मंगल करें। आप सभी सदैव सुखी, स्वस्थ, समृद्ध एवं निरोगी हो तथा आप सबको अपने अभीष्ट की सिद्वी प्राप्त हो। भगवान के श्रीचरणों से प्रतिपल यही कामना व प्रार्थना करते हैं।

*नैतिक शिक्षा व आध्यात्मिक प्रेरक,  दिल्ली/इन्दिरापुरम, गा०बाद/देहरादून