पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी आयोजित
श्रीनगर: पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में वैश्विक संस्कृत मञ्च के सचिव डॉ. राजेश कुमार मिश्र के निर्देशन में अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय संस्कृत वाड्.मय में पर्यावरण संरक्षण- संकल्प था।
जिसक संचालन उत्तराखण्ड प्रान्त के संयोजक डॉ. संजीव प्रसाद भट्ट, असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत के द्वारा किया गया। सर्वप्रथम डॉ. महेशान्नद नौडियाल द्वारा मंगलाचरण और अतिथियों का स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया।
तत्पश्चात संगोष्ठी में मुख्य वक्ता उपनिदेशक राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के प्रोफेसर विनोद कुमार गुप्त ने बताया कि प्रकृति का दोहन नहीं शोषण किया जा रहा है इसीलिए जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग ओजोन परत में छेद आदि हो रहा है। वृक्षारोपण से ही पर्यावरण सुरक्षित होगा।
इसके उपरांत विशिष्ट वक्ता डॉ. शिवदत्त आर्य शिक्षा शास्त्र विभाग लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली द्वारा वक्तव्य दिया गया। उन्होंने कहाँ कि पर्यावरण को संरक्षित करने वाले पंच तत्वों को भगवान की उपमा दे दी गई जिससे कि हम पर्यावरण का संरक्षण कर सकें। जैसे अग्नि को अग्नि देव, वायु को वायु देव, सूर्य को सूर्य देव, पृथ्वी को पृथ्वी माता, गंगा को गंगा माता आदि के द्वारा इनको देव तुल्य माना गया जिससे कि हम इनकी उपासना करें और इन को दूषित न करें।
इसके उपरांत बागपत से आए हुए डॉ. अरविंद तिवारी रामायण में सुमित्रा माता का कथन रामजी के लिए कि तुम जंगल को अयोध्या समझना और उसकी अयोध्या की तरह रक्षा करना बताते हुए कहाँ कि रामायण में भी पर्यावरण का संरक्षण किया गया। इसके उपरांत उन्होंने केदारघाटी आपदा जोशीमठ की आपदा यह प्रकृति के दोहन के कारण ही हुआ..आदि तथ्यों को उपस्थापित किया। अंत में कार्यक्रम के उत्तराखण्ड प्रान्त के अध्यक्ष प्रोफेसर राम विनय सिंह जी द्वारा अध्यक्षीय भाषण में कहाँ गया कि प्रकृति का जीव मनुष्य ही प्रकृति को दूषित करता है।
यही कारण है कि भूकंप, ज्वालामुखी, सुनामी आदि आते हैं, यदि प्रकृति रक्षित नहीं तो हम भी सुरक्षित नहीं। इसके उपरांत अमेरिका से प्रो. सेन पाठक अन्ताराष्ट्रिय अध्यक्ष, वै.सं.मं. & प्रो. एम.डी.एनडेर्सन रिसर्च इन्स्टीट्यूट, ह्यूस्टन अमेरिका ने कहाँ 22000 डॉक्टर केवल कैंसर का इलाज कर रहे हैं हर तीन व्यक्ति में एक व्यक्ति कैंसर से पीड़ित है। अमेरिका में लेकिन भारत में यह आंकड़ा बहुत कम है भारत वास्तव में विश्व गुरु बन सकता है। मेरा शरीर अमेरिका में रहता है पर आत्मा भारत में बसती है।
उन्होंने सभी संस्कृत के विद्वानों का उद्बोधन लिखा अंत में सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कमले शक्टा असि. प्रो. संस्कृत लोहाघाट द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में वैश्विक संस्कृत मञ्च के संरक्षक प्रोफेसर विष्णुपद महापात्र जी का आशीर्वाद मिला। इस कार्यक्रम के तकनीकी संयोजक श्री गुरु पदधर पश्चिम बंगाल थे। इसके साथ ही इस कार्यक्रम में सम्मिलित आयोजक मंडल के समस्त सदस्य डॉक्टर अनिल कुमार, डॉक्टर भारती कनौजिया, डॉक्टर नवल किशोर, डॉक्टर अरविंद नारायण मिश्रा, डॉ. आशुतोष गुप्ता, डॉक्टर बालकराम बद्री, डॉक्टर रोशनी अस्वाल, डॉ. वीरेंद्र बर्थवाल एवं डॉ. भारती कन्नौजिया जी आदि सम्मिलित थे।