खुद को बताया सूचना विभाग में सूचना अधिकारी, सचिवालय में सचिव, प्रशासनिक अधिकारी और अपर सचिव
इंटरव्यू के लिए बाकायदा सचिवालय बुलाया और फर्जी नियुक्ति पत्र भी जारी किए
[su_highlight background=”#091688″ color=”#ffffff”]सरहद का साक्षी, देहरादून:[/su_highlight]राज्य में ठगी एवं साइवर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अब तक ठग कइयों को अपना शिकार बना चुके हैं। कई लोग नौकरी के झांसे में आकर ठगे गए तो कई लोग केवाईसी तो कई लखपति बनने के चक्कर में ठगी का शिकार हुए।
ऐसा ही मामला देहरादून से सामने आया है जहां खुद को सचिवालय और उच्च प्रशासनिक सरकारी पदों पर तैनात बताकर चार जालसाजों ने 10 युवकों को विभिन्न विभागों में नौकरी दिलवाने के नाम पर 62 लाख रुपये ठगे। आरोपितों ने युवकों को इंटरव्यू के लिए बाकायदा सचिवालय बुलाया और फर्जी नियुक्ति पत्र भी जारी किए। लेकिन बाद में पता लगा कि जिन विभागों के नियुक्ति पत्र जारी किए गए हैं, उन विभागों में भर्ती निकली ही नहीं। पटेलनगर कोतवाली पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
मुजफ्फरनगर के गोशाला नदी रोड निवासी मनीष कुमार ने बताया कि वह अपने परिचित बृजपाल निवासी मेरठ के साथ 2018 में देहरादून आए थे। बृजपाल ने मनीष की मुलाकात सर्कुलर रोड क्षेत्र में रहने वाले कमल किशोर पांडे और उसके भाई चेतन पांडे से करवाई। कमल के माध्यम से मनीष की मुलाकात ललित बिष्ट निवासी पीडब्ल्यूडी कालोनी और मनोज नेगी से हुई। चेतन पांडे ने बताया कि वह सूचना विभाग में सूचना अधिकारी के पद पर तैनात है। कमल किशोर पांडेय ने खुद को प्रशासनिक अधिकारी, ललित बिष्ट ने सचिवालय में सचिव और मनोज नेगी ने खुद को अपर सचिव के पद पर तैनात बताया। सभी ने मनीष को झांसा दिया कि वह कई युवकों की विभिन्न पदों पर नौकरी लगवा चुके हैं। उत्तराखंड में भी कुछ रिक्तियां आई हुई हैं। और अगर उन्हें नौकरी चाहिए तो वो अलग-अलग विभागों में नौकरी लगवा सकते हैं।
पीड़ितों ने बताया कि उनको प्रति व्यक्ति 9 लाख रुपये देने को कहा गया, जो उन्होंने अधीनस्थ व उच्च अधिकारियों को देना बताया। आरोपितों पर विश्वास करते हुए मनीष ने 26 नवंबर को अपने भाई व परिचितों के शैक्षिक प्रमाण पत्र समेत अन्य औपचारिक प्रमाण पत्र और अग्रिम भुगतान के रूप में चार लाख रुपये चेतन पांडेय और कमल पांडे को दिए। इसके बाद अलग-अलग तिथियों को 58 लाख रुपये दिए।
बताया कि 7 मई 2019 को कमल ने पीडि़त व परिचितों को सचिवालय बुलाया और मनोज नेगी से मिलवाया। 15 मई को चेतन पांडे व कमल पांडे ने उन्हें दोबारा सचिवालय बुलाया और ललित बिष्ट ने उनका इंटरव्यू लिया। 28 मई को आरोपितों ने उनका दून अस्पताल में मेडिकल कराया। इसके बाद चार जून 2020 को ललित बिष्ट व मनोज नेगी ने सचिवालय बुलाकर अंगूठे के निशान लिए व हस्ताक्षर करवाए और पदों के बारे में बताया। छह जून को चेतन पांडे ने उन्हें सचिवालय बुलाकर फर्जी नियुक्ति पत्र सौंपे।
इंस्पेक्टर प्रदीप राणा ने बताया कि आरोपित कमल किशोर पांडे, चेतन पांडे, ललित बिष्ट और मनोज नेगी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।